Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Vat Savitri vrat : वट सावित्री व्रत में क्यों करते हैं बरगद की पूजा

हमें फॉलो करें Vat Savitri Vrat 2024

WD Feature Desk

, शुक्रवार, 31 मई 2024 (17:07 IST)
Vat Savitri Vrat 2024: सुहागिन महिलाओं द्वारा हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या और ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। इस व्रत में सावित्री-सत्यवान की कथा सुनी जाती है और साथ ही वट यानी बरगद की पूजा भी करते हैं। इस व्रत को स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगलकामना से करती हैं। लेकिन इस व्रत में बरगद की पूजा क्यों करते हैं।
1. सावित्री ने अपने पति सत्यवान को मृत्यु से बचाने के लिए त्रयोदशी के दिन से उपवास प्रारंभ कर दिया था। सत्यवान जंगल में लकड़ी काटने जाते थे। वे पेड़ पर चढ़ गए और लकड़ी काटने लगे तभी सिर में तेज दर्द हुआ। सत्यवान पेड़ से नीचे उतरे और तब सावित्री उन्हें बरगद की छाव में ले गई और वहां उनका सिर अपनी गोद में लेकर सहलाने लगी। तभी उन्होंने प्राण त्याग दिए। सत्यवान ने इसी वृक्ष के नीचे प्राण त्यागे थे इसलिए इस वृक्ष की पूजा का विधान है। साथ ही ज्येष्ठ मास की तपती धूप में महिलाओं के पूजन के लिए इस वृक्ष को इसलिए भी चुना गया है क्योंकि सबसे अधिक छाया इसी वृक्ष में होती है।
2. पुराणों में यह स्पष्ट किया गया है कि वट में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास है। मान्यता अनुसार इस व्रत को करने से पति की अकाल मृत्यु टल जाती है। वट अर्थात बरगद का वृक्ष आपकी हर तरह की मन्नत को पूर्ण करने की क्षमता रखता है।
 
3. अक्सर आपने देखा होगा की पीपल और वट वृक्ष की परिक्रमा का विधान है। इनकी पूजा के भी कई कारण है। आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो वट वृक्ष दीर्घायु व अमरत्व के बोध के नाते भी स्वीकार किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य देने के साथ ही हर तरह के कलह और संताप मिटाने वाली होती है।
 
4. हिंदू धर्मानुसार पांच वटवृक्षों का महत्व अधिक है। अक्षयवट, पंचवट, वंशीवट, गयावट और सिद्धवट के बारे में कहा जाता है कि इनकी प्राचीनता के बारे में कोई नहीं जानता। संसार में उक्त पांच वटों को पवित्र वट की श्रेणी में रखा गया है। प्रयाग में अक्षयवट, नासिक में पंचवट, वृंदावन में वंशीवट, गया में गयावट और उज्जैन में पवित्र सिद्धवट है।
।।तहं पुनि संभु समुझिपन आसन। बैठे वटतर, करि कमलासन।।
 
भावार्थ-अर्थात कई सगुण साधकों, ऋषियों, यहां तक कि देवताओं ने भी वट वृक्ष में भगवान विष्णु की उपस्थिति के दर्शन किए हैं।- रामचरित मानस

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Vastu Tips : यदि घर में इस तरह बनाएंगे रोटी तो घर में आएगी दरिद्रता