Dhan yog in Kundali : कुंडली में कई तरह के शुभ और अशुभ योग होते हैं। अशुभ योगों में विष योग, चांडाल योग, अतिगण्ड योग, पिशाच योग आदि। शुभ योगों में गज केसरी योग, बुधादित्य योग, शश योग, मालव्य योग, अखंड साम्राज्य योग आदि। इसी तरह धन योग भी होता है। आओ जानते हैं कि यह कुंडली में कैसे बनता है और क्या फल होता है इसका।
कैसे बनता है धन योग?
-
मेष लग्न की कुंडली में सूर्य, मंगल, गुरु व शुक्र यह चारों यदि नवम भाव में हों तथा शनि सप्तम भाव में हो तो धन योग बनते हैं।
-
यदि जातक की कुंडली के सभी केंद्रों पर ग्रहों का कब्ज़ा है, तो जातक धनवान होगा।
-
यदि लग्न का स्वामी 10 वें भाव में हो तो जातक अपने माता-पिता से अधिक धनवान होगा।
-
जातक अपनी कड़ी मेहनत और प्रयासों से समृद्ध होगा यदि दूसरे भाव का स्वामी 8 वें घर में है।
-
बुध कर्क या मेष राशि में हो तो जातक समृद्ध होगा।
-
7 वें घर में मंगल, शनि और राहु होने पर जातक कमीशन लेकर अमीर बनेगा।
-
यदि जातक 10 वें या 11 वें घर में हो या 4 वें या 5 वें घर में सूर्य / बुध हो तो प्रशासनिक चालाकी से धन कमाएगा।
-
पंचम भाव शुक्र क्षेत्र (वृषभ-तुला) हो और उसमें 'शुक्र' स्थित हो तथा लग्न में मंगल विराजमान हो तो व्यक्ति धनवान होता है।
-
कर्क लग्न में चंद्रमा हो और बुध, गुरु का योग या दृष्टि पंचम स्थान पर हो।
-
चंद्र-क्षेत्रीय पंचम में चंद्रमा हो और उत्तम भाव में शनि हो तो जातक धनवान होता है।
-
पंचम भाव में मेष या वृश्चिक का मंगल हो और लाभ स्थान में शुक्र स्थित हो तो व्यक्ति निश्चित धनी होता है।
-
पंचम भाव में धन या मीन का गुरु स्थित हो और लाभ स्थान बुध-युक्त हो तो जातक महाधनी होता है।
-
पंचम में शनि बैठे हो (स्वक्षैत्री) और लाभ भवन में सूर्य-चंद्र एक साथ हो तो भी जातक निश्चित धनवान होता है।
-
पांचवें घर में सिंह के सूर्य हो और लाभ स्थान में शनि, चंद्र-शुक्र से युक्त हो तो इस योग का जातक धनी होता है।
धन योग का लाभ : धन योग जिस भी जातक की कुंडल में होता है वह बहुत अधिक धन को अर्जित कर लेता है। यह योग जातक की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर देता है। व्यक्ति धनवान होने के साथ ही दानशील और दयालु भी होता है। यह योग न केवल आपको धन प्राप्ति के बारे में सक्षम बनाता है बल्कि पैसे बचाने और अनावश्यक खर्चों से बचने की आपकी क्षमता को भी मजबूत करता है।