उज्जैन। भारतीय वैदिक घटिका को पिछले वर्ष वाराणसी में लॉन्च किया गया था। इस वर्ष विश्व की पहली वैदिक घड़ी 2 अप्रैल 2022 को चैत्र प्रतिपदा के दिन उज्जैन के टावर चौक पर स्थापित किया जाएगा। टावर के साथ इंदौर रोड पर नानाखेड़ा चौराहे पर भी समय स्तंभ बनाया जाएगा। उज्जैन प्राचीनकाल में विश्व की कालगणा का केंद्र रहा है। इसीलिए उज्जैन स्थित ज्योतिर्लिंग को महाकाल कहा जाता है।
काल के दो अर्थ होते हैं- एक समय और दूसरा मृत्यु। महाकाल को 'महाकाल' इसलिए कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहीं से संपूर्ण विश्व का मानक समय निर्धारित होता था इसीलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम 'महाकालेश्वर' रखा गया है। यहीं पर से अनुमानित कर्क रेखा गुजरती है। इसीलिए यहां पर प्राचीन काल में कर्कराज मंदिर स्थापित किया गया। आओ जानते हैं वैदिक घड़ी क्या है और क्या है इसकी खासियत।
वैदिक घड़ी क्या है : वैदिक घड़ी में आप समय के साथ ही लग्न, ग्रहण, मुहूर्त और पर्व की जानकारी भी हासिल कर सकते हैं। दिक घड़ी में मौजूदा ग्रीन विच पद्धति के 24 घंटों को 30 मुहूर्त (घटी) में विभाजित किया गया है। समय को पल, घटी में विभाजित किया गया है। हर घटी के नाम दिए गए हैं। जैसे 12 बजे को आदित्य नाम दिया है। उसी तरह हर समय या घटी को एक नाम दिया गया है। वैदिक घड़ी में मौजूदा ग्रीनविच पद्धति की समय गणना यानी घंटे, मिनट, सेकंड वाली घड़ी भी रहेगी।
क्या है खासीयत :
1. इसमें समय देखने के साथ ही मुहूर्त, ग्रहण, संक्रंति और पर्व आदि की जानकारी भी मिलेगी।
2. वैदिक घड़ी इंटरनेट, जीपीएस से जुड़ी होने से हर जगह के लोग इसका उपयोग कर सकते हैं।
3. यह घड़ी मौजूद स्थान के सूर्योदय के आधार पर समय की गणना करेगी।
4. इस घड़ी को मोबाइल और टीवी पर भी सेट किया जा सकेगा। इसके लिए विक्रमादित्य वैदिक घड़ी मोबाइल ऐप भी जारी किया जाएगा।
5. इस घड़ी में 1 से 12 के स्थान पर क्रमशः- ब्रह्म, अश्विनौ, त्रिगुणा, चतुर्वेदा, पञ्चप्राणा:, षड्रसाः, सप्तर्षयः, अष्टसिद्धयः, नवद्रव्याणि, दशदिशः, रुद्राः एवं आदित्याः लिखा है। इनमें से 12 आदित्य, 11 रूद्र, 8 वसु एवं 2 अश्विनीकुमारों की गिनती सनातन धर्म के प्रसिद्ध 33 कोटि देवताओं में की जाती है।
ब्रह्म : 1:00 बजे के स्थान पर ब्रह्म लिखा हुआ है, इसका अर्थ यह है कि ब्रह्म एक ही है दूसरा कोई नहीं- एकोब्रह्मद्वितीयो नास्ति।
अश्विन : 2:00 बजे के स्थान पर अश्विनौ लिखा हुआ है। अश्विनी कुमार दो पुत्र है- नासत्य और द्स्त्र। नासत्य सूर्योदय एवं द्स्त्र सूर्यास्त का प्रतिनिधित्व करते हैं।
त्रिगुणा : 3:00 बजे के स्थान पर त्रिगुणा: लिखा हुआ है, जिसका अर्थ है कि गुण तीन प्रकार के हैं- सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण। जीव और प्रकृति तीन गुणों की ही होती है।
चतुर्वेदा : 4:00 बजे के स्थान पर चतुर्वेदा: लिखा हुआ है, जिसका अर्थ है कि वेद चार प्रकार के होते हैं- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। वेद ही हिन्दुओं के धर्मग्रंथ है दूसरा कोई धर्मग्रंथ नहीं।
पञ्चप्राणा : 5:00 बजे के स्थान पर पंचप्राणा: लिखा हुआ है, जिसका अर्थ है प्राण पांच प्रकार के होते हैं- अपान, समान, प्राण, उदान और व्यान। शरीर में यह मुख्यत: पांच प्रकार के प्राण स्थित होते हैं।
षड्रसाः : 6:00 बजे के स्थान पर षड्र्सा: लिखा हुआ है, इसका अर्थ है कि रस 6 प्रकार के होते हैं- मधुर, अमल, लवण, कटु, तिक्त और कसाय।
सप्तर्षयः : 7:00 बजे के स्थान पर सप्तर्षय: लिखा हुआ है इसका अर्थ है कि सप्त ऋषि 7 हुए हैं- कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ। हर युग में अलग अलग सप्त ऋषि हुए हैं।
अष्टसिद्धयः : 8:00 बजे के स्थान पर अष्ट सिद्धिय: लिखा हुआ है इसका अर्थ है कि सिद्धियां आठ प्रकार की होती है- अणिमा, महिमा, लघिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व और वशित्व।
नवद्रव्याणि : 9:00 बजे के स्थान पर नवद्रव्याणि लिखा हुआ है इसका अर्थ है कि 9 प्रकार की निधियां होती हैं- पद्म, महापद्म, नील, शंख, मुकुंद, नंद, मकर, कच्छप, खर्व।
दशदिशः : 10:00 बजे के स्थान पर दशदिशः लिखा हुआ है, इसका अर्थ है कि दिशाएं 10 होती है- पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान, नैऋत्य, वायव्य, आग्नेय, आकाश, पाताल।
रुद्राः : 11:00 बजे के स्थान पर रुद्रा: लिखा हुआ है, इसका अर्थ है कि रुद्र 11 प्रकार के हुए हैं- कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, अहिर्बुध्न्य, शम्भु, चण्ड और भव। यह भगवान शिव के रूप हैं।
आदित्या: : 12:00 बजने के स्थान पर आदित्या: लिखा हुआ है, अर्थ अर्थ यह है कि सूर्य 12 प्रकार के होते हैं- अंशुमान, अर्यमन, इंद्र, त्वष्टा, धातु, पर्जन्य, पूषा, भग, मित्र, वरुण, विवस्वान (सूर्य) और विष्णु (वामन) । यह ऋषि कश्यप और अतिति के पुत्र हैं जो देवता हैं।