प्रतिदिन स्नान यानी नहाना सेहत की दृष्टि से अनिवार्य होता है। लेकिन प्राचीन धर्मग्रंथों में स्नान से जुड़ी पवित्र मान्यताएं हैं। एक सुनिश्चित समय निर्धारित है। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। पढ़ें विस्तार से....
सुबह के स्नान को धर्मग्रंथों में चार उपनाम दिए है।
1 मुनि स्नान।
सुबह 4 से 5 के बीच किया जाता है।
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2 देव स्नान।
सुबह 5 से 6 के बीच किया जाता है।
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3 मानव स्नान।
सुबह 6 से 8 के बीच किया जाता है।
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4 राक्षसी स्नान।
सुबह 8 के बाद किया जाता है।
* मुनि स्नान सर्वोत्तम है।
* देव स्नान उत्तम है।
* मानव स्नान सामान्य है।
* राक्षसी स्नान धर्म में निषेध है।
किसी भी मनुष्य को 8 के बाद स्नान नहीं करना चाहिए।
जानिए हर स्नान के लाभ
मुनि स्नान
घर में सुख,शांति,समृद्धि, विद्या, बल, आरोग्य, चेतना, प्रदान करता है।
देव स्नान
यश, कीर्ति,धन, वैभव,सुख, शांति, संतोष प्रदान करता है।
मानव स्नान
काम में सफलता,भाग्य,अच्छे कर्मों की सूझ,परिवार में एकता प्रदान करता है।
राक्षसी स्नान
दरिद्रता, हानि, क्लेश,धन हानि, परेशानी प्रदान करता है।
पुराने जमाने में इसीलिए सभी सूरज निकलने से पहले स्नान करते थे। खासकर घर की स्त्री चाहे मां के रूप में हो,पत्नी के रूप में या बहन के रूप में हो। ऐसा करने से धन और वैभवलक्ष्मी घर में सदैव वास करती है।