कृष्ण पक्ष की अष्टमी को क्यों कहते हैं कालाष्टमी?
, बुधवार, 19 फ़रवरी 2025 (15:23 IST)
हिन्दू कैलेंडर के मतानुसार पूर्णिमा तथा अमावस्या के बीच आने वाले हिस्से को कृष्ण पक्ष कहते हैं। अर्थात् पूर्णिमा के समापन के अगले दिन से कृष्ण पक्ष की शुरुआत होती है, जो अमावस्या तिथि तक यानि 15 दिनों तक जारी रहती है। और इस दौरान पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी कहते हैं।
हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कालाष्टमी हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान भैरव को समर्पित है, जो भगवान शिव के उग्र रूप माने जाते हैं। इसी कारण कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अष्टमी तिथि को कालाष्टमी कहा जाता है। इस दिन भगवान काल भैरव की विधिपूर्वक पूजन करने से मनुष्य के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और हर बीमारी का नाश हो जाता है।
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आइए जानते हैं कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी कहने के अन्य कई कारण भी हैं, जिनमें से कुछ निम्नानुसार हैं:
1. कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव प्रकट हुए थे, जो भगवान शिव के रौद्र रूप हैं। काल भैरव को 'काल' का प्रतीक माना जाता है, जो समय और मृत्यु के स्वामी हैं। इसलिए, इस तिथि को कालाष्टमी कहा जाता है।
2. कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को भय, संकट, रोग और शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है।
3. धार्मिक मान्यता के चलते हर माह आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अंधकार और नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होकर हमारे चारों तरफ तथा जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए, इसे कालाष्टमी कहा जाता है।
4. कालाष्टमी शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक है। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को शक्ति, साहस और ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
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