कुछ लोग बहुत खर्चीले होते हैं। उनके हाथ में धन कभी टिकता नहीं है। ऐसे व्यक्ति जीवन में कभी धन संचय नहीं कर पाते। आईए जानते हैं कि वे कौन से योग होते हैं जिनके फलस्वरूप जातक खर्चीला होता है -
जन्मपत्रिका के बारहवें भाव को व्यय भाव कहा जाता है। जन्मपत्रिका के दूसरे भाव से संचित धन का विचार किया जाता है वहीं एकादश भाव से आय व लाभ का।
- यदि धन भाव का अधिपति (धनेश) व्यय भाव में हो और व्ययेश की उस पर पूर्ण दृष्टि हो।
- यदि व्यय भाव का अधिपति (व्ययेश) लाभ भाव के अधिपति (लाभेश) के साथ युतिकारक होकर व्यय भाव में हो।
- यदि धनेश व लाभेश अशुभ भाव में हो एवं व्ययेश व्यय भाव में हो।
- यदि व्ययेश की दृष्टि व्यय भाव पर हो।
- यदि व्ययेश स्वराशिस्थ होकर व्यय भाव में हो।
- यदि धनेश व्यय भाव में हो एवं व्ययेश स्वराशिस्थ हो व लाभेश अशुभ भावों में हो।
- यदि धन भाव पर राहु की दृष्टि हो व धनेश अशुभ भावों हो एवं व्ययेश व्यय भाव में हो।
- यदि व्यय भाव में चर राशि हो अथवा व्ययेश चर राशिगत हो।
यदि उपर्युक्त योग किसी जन्मपत्रिका में हों तो यह जातक को खर्चीला बनाते हैं।
ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया