सोलह श्रृंगार से सजी-धजी सुहागिनें करवा चौथ पर चांद की आभा लिए होंगी। इन्हें आज अपने-अपने 'चांद' का बेसब्री से इंतजार रहेगा। इसलिए नहीं कि वे आज निर्जल हैं बल्कि इसलिए कि चंद्रदेव के दर्शन कर व अर्घ्य देकर अपने पति यानी चांद के दीर्घायु जीवन की कामना कर अखंड सौभाग्य का वर प्राप्त करना है।
आज करवा चतुर्थी चंद्रोदय व्यापिनी है। रात 8 बज कर 22 मिनट पर चंद्रमा का उदय होगा। व्रतधारी सौभाग्यवती महिलाएं चंद्र दर्शन पश्चात अर्घ्य देकर पति के हाथों से जल ग्रहण कर उपवास को पूर्णता प्रदान करेंगी।
कर्क चतुर्थी पर चांद को विशेष कला प्राप्त होती है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार करवा चतुर्थी पर चांद को प्रत्यक्ष नहीं देखना चाहिए। वरन् प्रतिबिंब का दर्शन कर व्रत खोलना चाहिए। राजस्थान, हरियाणा व पंजाब में चलनी के माध्यम से चांद का दीदार किया जाता है। अन्य स्थानों पर पानी तथा कांच में प्रतिबिंब देखकर व्रत को पूर्णता प्रदान की जाती है।
करवा चौथ पर मिट्टी के गणेशजी की स्थापना करना चाहिए। मिट्टी की सुगंध से घर की परेशानियां दूर होती हैं। इस दिन गणपतिजी के साथ माता पर्वती का पूजन किया जाना चाहिए। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।
पूजन एवं चंद्रोदय का समय :-
करवा चौथ का पूजन करने वाली सुहागिन महिलाओं के लिए सांध्यकालीन पूजन का समय 6 बजकर 28 मिनट से 8 बजकर 22 मिनट तक शुभ फलदायी रहेगा। रात्रि 8 बजकर 22 मिनट पर चंद्रोदय होगा।