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कालसर्प योग क्या होता है..

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- राजेन्द्र मेहता
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कालसर्प योग का नाम सुनते ही मन में एक अजीब सा डर बैठ जाता है। इस दोष से पीड़‍ित जातक जीवन में कई प्रकार के उतार-चढ़ाव देखता है। जातक महत्वाकांक्षी होते हुए भी पूर्ण सफलता से वंचित रह जाता है। यदि आप कालसर्प योग से पीड़‍ि‍त हैं तो नागपंचमी सर्वश्रेष्ठ दिन है जो इस पीड़ा से आपको मुक्त कर सकता है। अनेक विद्वानों ने अपने मतों के अनुसार इसके उपाय बतलाए हैं।

कालसर्प योग को लेकर आज हर व्यक्ति में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। यह क्या है और इसका निवारण कैसे हो, इस बात को लेकर व्यक्ति बहुत चिंतित रहता है।

पहले भी था कालसर्प योग :
ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प योग व्यक्ति के जीवन में एक बड़ी रुकावट माना गया है। इस योग के कारण जीवन में बाधाएं अधिक आती हैं। कालसर्प दोष के निवारण हेतु उपाय करने से सुखद परिणाम प्राप्त होने लगते हैं। कालसर्प योग पहले नहीं था, ऐसा नहीं है। इसके बारे में महर्षि पाराशर एवं वाराहमिहिर जैसे प्राचीन ज्योतिषाचार्यों ने अपने ग्रंथों में इसका उल्लेख किया है।

कालसर्प योग से डरना नहीं चाहिए :
राहु व केतु के बीच सभी ग्रह आने पर कालसर्प योग का निर्माण होता है। इसे महर्षि भृगु, कल्याण वर्मा बादरायण आदि ने सिद्ध भी किया है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में राहु को काल और केतु को सर्प कहा गया है। मानसागरी ग्रंथ के चौथे अध्याय के 10 वें श्लोक में कहा गया है कि शनि, सूर्य व राहु लग्न में सप्तम स्थान पर होने पर सर्पदंश होता है।

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धार्मिक ग्रंथों में राहु को अधिदेवता-काल और केतु को प्रत्यधि देवता-सर्प माना गया है। इसलिए इनका पूजन अनिवार्य है। कालसर्प योग शांति, जन्म शांति है इसे नकारा नहीं जा सकता।

जन्म के समय ग्रहों की दशा में जब राहु-केतु आमने-सामने होते हैं और सारे ग्रह एक तरफ रहते हैं, तो उस काल को सर्प योग कहा जाता है। लोगों को कालसर्प योग से डरना नहीं चाहिए। कालसर्प योग तो पं. जवाहर लाल नेहरू और शेयर मार्केट के धुरंधर हर्षद मेहता को भी था।

जब कुंडली के भावों में सारे ग्रह दाहिनी ओर इकट्ठा हों तो यह कालसर्प योग नुकसानदायक नहीं होता। जब सारे ग्रह बाईं ओर इकट्ठा रहें तो वह नुकसानदायक होता है, लेकिन इससे भयभीत नहीं होना चाहिए। इसका निवारण ज्योतिष और धार्मिक अनुष्ठान से किया जा सकता है।

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