आजकल लड़के-लड़कियां उच्च शिक्षा या अच्छा करियर बनाने के चक्कर में अक्सर शादी करने में लेट हो जाते हैं। बड़ी उम्र हो जाने पर विवाह में विलंब हो जाता है। इस संबंध में किसी विद्वान ज्योतिषी को जन्म कुंडली दिखाकर विवाह में बाधक ग्रह या दोष को ज्ञात कर उसका निवारण करना चाहिए।
ज्योतिषीय दृष्टि से जब विवाह योग बनते हैं, तब अगर विवाह ना किया जाए तो बाद में विवाह में बहुत देरी हो जाती है। वैसे विवाह में देरी होने का एक कारण बच्चों का मांगलिक होना भी होता है।
इनके विवाह के योग 27, 29, 31, 33, 35 व 37वें वर्ष में बनते हैं। जिन युवक-युवतियों के विवाह में विलंब होता है, उनके ग्रहों की दशा ज्ञात कर, विवाह के योग जान सकते हैं।
जिस वर्ष शनि और गुरु दोनों सप्तम भाव या लग्न को देखते हों, तब विवाह के योग बनते हैं।
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सप्तमेश की महादशा-अंतर्दशा या शुक्र-गुरु की महादशा-अंतर्दशा में विवाह का प्रबल योग बनता है।
सप्तम भाव में स्थित ग्रह या सप्तमेश के साथ बैठे ग्रह की महादशा-अंतर्दशा में विवाह संभव है।
लग्नेश, जब गोचर में सप्तम भाव की राशि में आए।
जब शुक्र और सप्तमेश एक साथ हो, तो सप्तमेश की दशा-अंतर्दशा में।
लग्न, चंद्र लग्न एवं शुक्र लग्न की कुंडली में सप्तमेश की दशा-अंतर्दशा में।
शुक्र एवं चंद्र में जो भी बली हो, चंद्र राशि की संख्या, अष्टमेश की संख्या जोड़ने पर जो राशि आए, उसमें गोचर गुरु आने पर।
लग्नेश-सप्तमेश की स्पष्ट राशि आदि के योग के तुल्य राशि में जब गोचर गुरु आए।
दशमेश की महादशा और अष्टमेश के अंतर में।
सप्तमेश-शुक्र ग्रह में जब गोचर में चंद्र गुरु आए।
द्वितीयेश जिस राशि में हो, उस ग्रह की दशा-अंतर्दशा में।