नवग्रहों का राजा सूर्य व देवताओं के गुरु बृहस्पति ने 14 मई को वृषभ राशि में प्रवेश कर लिया है। गुरु का वृषभ राशि में प्रवेश दोपहर 1.30 बजे हुआ, वहीं सूर्य देव का प्रवेश काल सायं 7.27 पर हो गया है। वृषभ राशि में शुक्र व केतु पूर्व से परिभ्रमण कर रहे है। ऐसे में सूर्य व गुरु के प्रवेश से इस राशि में चर्तुग्रही योग बन गया है। राशियों पर प्रभाव :-
मेष- लाभ की प्राप्ति, रुके कार्य बनेंगे।
वृषभ- आकस्मिक तनाव, साधना से लाभ।
मिथुन- मानसिक तनाव, गणेश पूजन श्रेष्ठ।
कर्क- आंशिक लाभ, कार्य में प्रगति।
सिंह- संपत्ति की प्राप्ति, शुभ समाचार।
कन्या- विरोध के साथ सफलता।
तुला- काम बनेंगे, उत्तर दिशा से लाभ।
वृश्चिक- विवाद, कानूनी मामलों से बचें।
धनु- देव आराधना से लाभ, प्रतिष्ठा प्राप्ति।
मकर- पुराना पैसा प्राप्त होगा।
कुंभ- शनि की शांति से संपत्ति में वृद्घि।
मीन- पदोन्नति एवं मांगलिक कार्य।
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देश पर असर : कृषि उत्पादन की दृष्टि से चर्तुग्रही योग शुभफल प्रदान करेगा। लेकिन चर्तुग्रहों का शनि से षडाष्टक योग तथा चर्तुग्रही युति का राहु से समसप्तक योग रेल व यान दुर्घटना, आगजनी, बम विस्फोट आदि दुर्घटनाओं को जन्म देगा। दक्षिण-पूर्व दिशा के राज्य व राष्ट्र इससे अधिक प्रभावित होंगे।
मौसम बदलेगा : ग्रहों के राशि परिवर्तन से मौसम में भी बदलाव आएगा। तापमान में वृद्घि होगी वहीं उमस बढ़ेगी। कहीं-कहीं बूंदाबांदी हो सकती है। भूमि का जल स्तर कम होगा।
वृषभ राशि का बृहस्पति होता है सर्वोत्तम : वृषभ राशि का बृहस्पति कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर, कुंभ तथा मीन राशि वाली कन्याओं के लिए श्रेष्ठ रहेगा। उक्त राशि की विवाह योग्य कन्याओं के मांगलिक कार्य शीघ्र संपन्न होंगे। मिथुन, तुला एवं मेष राशि वाली कन्याओं के लिए बृहस्पति पूजनीय हैं।
शनि की दृष्टि :- शनि की आठवीं दृष्टि चारों ग्रहों पर पड़ने से विपरीत ऊर्जा का निर्माण करती है। यह ऊर्जा समाज में मानसिक विकृति, धार्मिक खिलवाड़, सामाजिक मूल्यों का पतन तथा भ्रष्टाचार जैसी परिस्थितियां निर्मित करेगी। सूर्य एक राशि में एक मास तक परिभ्रमण करते हैं, इसलिए 14 मई से 14 जून के मध्य उपरोक्त घटनाओं में अभिवृद्घि होगी।