Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

शनि जयंती का महत्व और फल

सूर्यपुत्र की आराधना का महापर्व

Advertiesment
हमें फॉलो करें शनि जयंती का महत्व और फल
- डॉ. रामकृष्ण डी. तिवारी
ND

शनिवार के दिन शनि जयंती से इस पर्व का महत्व एवं फल अनंत गुणा हो जाता है। ज्ञान, बुद्धि एवं प्रगति के स्वामी गुरु का भी शनि के नक्षत्र में होने से इस वर्ष का शनि जन्मोत्सव दिवस आलस्य, कष्ट, विलंब, पीड़ानाशक होकर भाग्योदय कारक बनाने के लिए दुर्लभ अवसर है।

इस पर्व का लाभ लेने के लिए सर्वप्रथम स्नानादि से शुद्ध होकर एक लकड़ी के पाट पर काला कपड़ा बिछाकर उस पर शनिजी की प्रतिमा या फोटो या एक सुपारी रख उसके दोनों ओर शुद्ध घी व तेल का दीपक जलाकर धूप जलाएँ। इस शनि स्वरूप के प्रतीक को जल, दुग्ध, पंचामृत, घी, इत्र से स्नान कराकर उनको इमरती, तेल में तली वस्तुओं का नैवेद्य लगाएँ। नैवेद्य के पूर्व उन पर अबीर, गुलाल, सिंदूर, कुंकुम एवं काजल लगाकर नीले या काले फूल अर्पित करें। नैवेद्य अर्पण करके फल व ऋतु फल के संग श्रीफल अर्पित करें।

इस पंचोपचार पूजन के पश्चात इस मंत्र का जप कम से कम एक माला से करें।
ॐ प्रां प्रीं प्रौ स. शनये नमः

माला पूर्ण करके शनि देवता को समर्पण करें। पश्चात आरती करके उनको साष्टांग प्रणाम करें।

शनि जयंती पर इन कर्मों का ध्यान रखें :-

webdunia
ND
* सूर्योदय से पूर्व शरीर पर तेल मालिश कर स्नान करें।

* हनुमानजी के मंदिर के दर्शन अवश्य करें।

* ब्रह्मचर्य का पालन करें।

* पौधारोपण करें।

* यात्रा को टालें।

* तेल में बनी खाद्य सामग्री का दान गाय, कुत्ता व भिखारी को करें।

* विकलांग व वृद्ध व्यक्तियों की सेवा करें।

* शनिजी का जन्म दोपहर या सायंकाल में है। विद्वानों में इसको लेकर मतभेद है। अतः दोपहर व सायंकाल में मौन रखें।

* शनि महाराज व सूर्य-मंगल से शत्रुतापूर्ण संबंध होने के कारण इस दिन सूर्य व मंगल की पूजा कम करनी चाहिए।

* शनिजी की प्रतिमा को देखते समय उनकी आँखों को नहीं देखें।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi