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श्रावण माह में कैसे करें भोलेनाथ की आराधना

महामृत्युंजय मंत्र का जाप नियमित करें

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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

श्रावण मास में भगवान शिवजी का विशेष पूजन-अर्चन किया जाता है। यह मास अत्यंत पवित्र माना गया है, एक तो चहुंओर हरियाली एवं मंद-मंद फुहार होने से मन उल्लास से भर जाता है।

जब मन प्रसन्न हो तब ही भगवान की आराधना करना चाहिए। मन प्रसन्न रहेगा तो पूजन में भी मन लगेगा। आइए जानते हैं श्रावण माह में कैसे करें भोलेनाथ का पूजन : -

ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नानादि से निवृत्त होकर एक चांदी या स्टील के पात्र में जल भरकर स्टील के कलश से भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग पर जलाभिषेक करके स्नान कराएं। तत्पश्चात जहां तक हो सके सफेद आंकड़े के पुष्प, बिल्वपत्र साबुत लेकर सफेद चंदन या गोपी चंदन से शिवलिंग या प्रतिमा को लगाकर शुद्ध किए बिल्वपत्र चढ़ाएं।

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इसके बाद सफेद आंकड़े के पुष्प शिवजी को अर्पण करते समय किसी भी शिव स्तुति का पाठ करते रहें। जहां तक संभव हो सके ‍तो 108 सफेद आंकड़े के पुष्प लेकर प्रत्येक पुष्प चढ़ाते समय भगवान का प्रसिद्ध मंत्र 'महामृत्युंजय' का जप करते हुए पूजन करें।

इस प्रकर भोलेनाथ का पूजन एवं आराधना करने से अनेक प्रकार के दोषों का शमन होता है। जिन्हें कालसर्प दोष हो या मृत्युतुल्य कष्ट हो उनके लिए यह मंत्र रामबाण साबित होता है। सच्ची श्रद्धा से किया गया जप-तप, आराधना अवश्य ही फलदायी रहती है।

प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर स्टील या चांदी के लोटे में दूध व गंगा जल भर कर सफेद आंकड़े के पुष्‍प से नित्य 108 बार जाप अवश्य करें। इस प्रकार श्रद्धा भक्ति के साथ किया गया कोई भी उपाय या मंत्र जाप अवश्य सफल होता है।

मृत्युंजय महामंत्र इस प्रकार है-
ॐ हौं ॐ जूं स: ॐ भू: ॐ भुव: ॐ स्व: ॐ

त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
ॐ स्व: ॐ भुवऊं भू: ॐ स: ऊँ जूं ॐ हौं ॐ ॥

इस मंत्र को पूरे श्रावण मास में 108 बार जप करें, तो लाभ के साथ प्रसन्नता भी पाएंगे।

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