सूर्य का सिंह राशि में परिभ्रमण करने से दक्षिण तथा पश्चिम के देशों में दुर्भिक्ष का भय, उत्तर के देशों में भय के साथ युद्ध की संभावना बनती और पूर्व के देशों में सुख (सुर्भिक्ष) होता है। मंगल अपनी शत्रु राशि मिथुन में परिभ्रमण कर रहा है, परिणामस्वरूप सभी लाल वस्तुओं में तेजी होगी तथा मेघ प्रबल होंगे। बुध का कर्क राशि में परिभ्रमण लोगों को सुख कम एवं दुख ज्यादा देगा।
शुक्र का सिंह राशि में परिभ्रमण करने से स्वर्ण तथा पशु व्यापारी को लाभांश देने वाला रहेगा। दोनों के भावों में तेजी होने के योग बनते हैं। परंतु वर्षा में कमी रहेगी। शनि का कन्या राशि में परिभ्रमण मध्यप्रदेश की सरकार पर संकट वाला हो सकता है।
यह शासकों का क्षय कर सकता है। साथ ही जल की कमी भी करेगा। इसी के साथ तेज वायु का प्रवाह रहेगा। 11 सितंबर को मंगल का अपनी नीच राशि कर्क में प्रवेश करने से सभी अनाजों के भाव में तेजी का रूख होगा। भैंस के भाव बढ़ेंगे।
ND
चार सितंबर को बुध का अपनी राशि बदल कर सिंह राशि में प्रवेश करेगा, जिससे स्वर्ण के भाव एवं देवदार के भावों में तेजी का योग बनता है। इसी के साथ धान्य के भाव स्थिर करेगा। शुक्र भी अपनी राशि बदल कर कन्या राशि में प्रवेश करेगा, जो कि कृषि को प्रभावित कर सकता है।
माह के अंतिम सप्ताह में बुध का राशि परिवर्तन स्वर्ण पर प्रभाव डालेगा। लंबे समय तक उतार-चढ़ाव का दौर रहेगा एवं शक्कर पर भी असर करेगा। बुध का राशि परिवर्तन करने से वर्षा पर भी प्रभाव पड़ेगा। इस माह सूर्य, बुध, शुक्र का एक साथ (एक राशि) पर बैठने से सभी धान्यों के भावों में तेजी आएगी। वर्षा कम होगी।
इस माह में चर्तुग्रही एवं पंचग्रही योग बनने से कहीं जलप्लावन अथवा रक्तपात होगा एवं पशुओं का नाश भी होगा।
माह के मौसम पर दृष्टि डाले तो कहीं वर्षा तो कहीं तेज वायु व ओलावृष्टि से हानि की संभावना बनती है। कहीं-कहीं खंडवृष्टि भी होगी। छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तरप्रदेश, झारखंड में ऋतु परिवर्तन के लक्षण दिखाई देने लगेंगे।