बुध रेखा से निकलकर जाने वाली रेखाएं व्यक्ति को व्यापारिक सफलता दिलाती हैं। इसके विपरीत नीचे जाने वाली रेखाएं असफलता की सूचना देती हैं। यदि बुध रेखा की कोई शाखा गुरु पर्वत पर पहुंच जाती है तो व्यक्ति को अत्यधिक सफलता मिलती है। ऐसे व्यक्ति में नेतृत्व, प्रतिभा और महत्वाकांक्षाओं की कमी नहीं रहती।
बुध रेखा की प्रशाखा यदि शनि पर्वत पर पहुंच रही हो तो व्यक्ति अध्ययनशील और गंभीर होता है। सूर्य पर्वत पर पहुंचने वाली प्रशाखा व्यक्ति को तेजस्वी और प्रतिभावान बनाती है। ऐसे व्यक्ति को सूर्य पर्वत के अनुरूप जीवन में अनेक विधियों द्वारा सफलता मिलती है।
जीवन रेखा से निकलने वाली बुध रेखा यदि अस्त-व्यस्त हो और जीवन रेखा पर लाल या नीले बिंदु हो तो व्यक्ति हृदय रोगों से पीड़ित होता है।
यदि मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा पास-पास हो और निर्बल हो तो व्यक्ति मूर्च्छा रोगों का शिकार होता है।
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यदि बुध रेखा दोनों हाथों में मस्तिष्क रेखा को काटकर गुणक चिह्न बनाती हो तो व्यक्ति रहस्य-विद्या तथा पराविज्ञान में रुचि रखने वाला होता है।
यदि बुध रेखा की कोई शाखा मस्तिष्क रेखा को स्पर्श करती हो तो वह व्यक्ति बुद्धिमान होता है।
यदि बुध रेखा मस्तिष्क रेखा पर समाप्त हो जाए और जीवन रेखा पर अनेक छोटी-छोटी रेखाएं हो तो व्यक्ति मानसिक रोगों का शिकार होता है।
चंद्र पर झुकी हुई मस्तिष्क रेखा पर गुणक चिह्न बनाने वाली बुध रेखा कल्पनाशीलता का संकेत देती है। बुध रेखा शनि और मस्तिष्क रेखाओं के साथ एक त्रिकोण बनाती हो तो व्यक्ति धार्मिक विचारों वाला होता है।
यदि मस्तिष्क रेखा के मार्ग में वृत्त हो और बुध रेखा पर ऊपर की तरफ गुणक चिह्न स्थित हो तो व्यक्ति को अंधेपन का खतरा रहता है।
बुध रेखा के पास बना क्रॉस आकस्मिक दुर्घटनाओं का संकेत देता है।
इस प्रकार बुध रेखा पर आड़ी रेखा सफलता के मार्ग में बाधक रहती है व बुध पर्वत पर बुध रेखा अनेक भागों में हो तो उसको सफलता भी अनेक क्षेत्रों में मिलती है।
बुध रेखा को स्वास्थ्य रेखा कहा जाता है। बुध रेखा जितनी निर्दोष होगी, वह जातक कार्यक्षमता में उतना ही प्रवीण होगा।