Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

होली विशेष : जानिए, होलाष्टक, भद्रा और मुहूर्त

मंगलकारी सर्वार्थसिद्धि योग में होगा होली दहन

हमें फॉलो करें होली विशेष : जानिए, होलाष्टक, भद्रा और मुहूर्त

इस बार होली पर नहीं पड़ेगा भद्रा का साया

FILE


होलाष्टक : होली के पूर्व के 8 दिन "होलाष्टक' माने जाते हैं। शास्त्र और विज्ञान दोनों के मुताबिक इन दिनों में 'नकारात्मक' ग्रहों का दुष्प्रभाव ज्यादा होता है।

इन दिनों मानते हैं कि भगवान शिव ने कामदहन किया था। नृसिंह भगवान् ने असुरभक्त हिरण्यकश्यपु का संहार किया था। 'होलाष्टक' दौरान भी 'शुभ/मंगल कार्य निषेध माने जाते हैं।


webdunia
FILE


भद्रा का साया : इस बार होली दहन के लिए अशुभ माने जाने वाली भद्रा का साया पर्व पर नहीं पड़ेगा। इस बार होली दहन निर्विवाद रूप से 16 मार्च, रविवार के दिन सर्वार्थसिद्धि योग में प्रदोषकाल के दौरान होगा। इस बार त्योहार पर ग्रह-नक्षत्रों के सकारात्मक खेल को प्रकांड ज्योतिषी मंगलकारी बता रहे हैं।

तीन साल से अशुभ माने जाने वाली भद्रा का साया होलिका दहन के लिए तय समय पर पड़ता आ रहा है। इसके चलते भद्रा के मुख का त्याग कर होली दहन का वैकल्पिक मार्ग अपनाया जा रहा है। इस बार दहन के दिन भद्रा सुबह 10.01 पर खत्म हो जाएगी।


webdunia
FILE


शास्त्रों में उल्लेख है कि फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को प्रदोषकाल में दहन किया जाता है। प्रतिपदा, चतुर्दशी और भद्राकाल में होली दहन के लिए सख्त मनाई जाती है। फाल्गुन पूर्णिमा पर भद्रारहित प्रदोषकाल में होली दहन को श्रेष्ठ माना गया है।

इस वर्ष प्रदोषकाल में शाम 6.30 से 8.30 बजे तक होलिका दहन के लिए श्रेष्ठ समय है। इस दौरान शुभ व अमृत की चौघड़िया भी प्राप्त हो रही है।

इस दिन पूर्णिमा सूर्योदय से रात 10.38 तक रहेगी। उत्तरा फाल्गुन नक्षत्र 16 मार्च को 12.23 से 17 मार्च को दोपहर 2 बजे तक रहेगा। सर्वार्थसिद्धि योग दोपहर 12.24 से दिवसपर्यंत रहेगा। 17 मार्च को धुलेंडी मनाई जाएगी।


webdunia
FILE


भद्रा : सूर्य की बेटी और शनि की बहन

शास्त्रों के अनुसार भद्रा सूर्यदेव की पुत्री और शनिदेव की बहन है। यह कड़क स्वभाव की मानी गई है। मान्यता है कि ब्रह्म देवता ने भद्रा को नियंत्रित करने के लिए कालगणना और पंचांग में विशिष्ट स्थान दिया है। भद्रा के दौरान विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, रक्षाबंधन और होलिकादहन को निषेध माना गया है। इसकी अवधि 7 से 13 घंटे 20 मिनट तक होती है।

मांगलिक कार्यों पर विरा
होलाष्टक के साथ मांगलिक कार्यों पर विराम लगेगा। जहां कुछ पंचांग में होलाष्टक की तारीख 8 मार्च तो कुछ में 9 मार्च बताई गई है। इसके साथ ही 41 दिन के लिए विवाह पर विराम लग जाएगा। 16 मार्च तक होलाष्टक होने से मांगलिक आयोजन नहीं होंगे। इसके बाद 14 मार्च को सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेगा, जो 14 अप्रैल तक रहेगा। इसके चलते शुभ कार्य नहीं होंगे।

शुभ कार्य की शुरुआत : 18 अप्रैल से वैवाहिक आयोजनों की शुरुआत होगी। होलाष्टक के साथ ही रंगों के त्योहार का उल्लास अपना रंग जमाने लगेगा



हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi