इन स्त्रोतों से श्रावण माह गुंजायमान है। भगवान सदाशिव की कृपा का पात्र बनने के लिए बुजुर्गों के साथ-साथ युवा वर्ग भी इन दिनों शिव आराधना में लीन है। भगवान शिव का अभिषेक करने के साथ ही व्रत रखने का चलन भी युवाओं में काफी जोरों पर हैं। कई युवा तो ऐसे भी हैं जो पूरे महीने भर के श्रावण का व्रत करने को लेकर काफी उत्सुक है और वे इस धर्म का पालन भी बहुत अच्छी तरह कर रहे हैं।
शिव मंदिरों में भगवान को जल अर्पण करने के लिए श्रद्धालु महिला, पुरुष व युवाओं और बच्चों की लंबी कतारें लगी रहती है। भूतभावन भोले के अभिषेक में खास तौर पर श्रद्धालु पंचगव्य, धतूरा, कनेर, बिल्वपत्र, शमीपत्र, आक के फूलों को अर्पित कर शिव आराधना में लीन है।
जीवन को सद्गति देते हैं शिव
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-विनोद केशरवानी कहते हैं कि वेदों में उल्लेख किया गया है कि इस सृष्टि में शिव के समान दूसरा कोई दाता नहीं है। मैं हर बार श्रावण में भगवान के दर्शन करने जाता हूं। मुझे लगता है यही एक रास्ता है अपने जीवन को सद्गति देने का।
मन को मिलती है शांति -बलराम यादव कहते हैं मेरा खुद का व्यवसाय है। आज जो कुछ भी मेरे पास है सब भोलेनाथ ही कृपा है। इसीलिए में व्रत रखता हूं और श्रावण में दर्शन जरूर आता हूं। शिव मंदिर में आकर मन को शांति मिलती है।
ॐ नमः शिवाय कहने से ऊर्जा का संचार -वीरेन्द्र चौधरी के अनुसार मैं प्राइवेट जॉब करता हूं और मुझे लगता है कि शिव आराधना से बढ़कर कोई और रास्ता नहीं शांति पाने का। सिर्फ ॐ नमः शिवाय कहने भर से ऊर्जा का संचार हो जाता है। इसीलिए मैं पूरे श्रावण के महीने में शिव के दर्शन करने मंदिर जरूर जाता हूं।
मैं श्रावण सोमवार का व्रत सालों से करता आ रहा हूं, शिवशंकर ने मेरी सभी मनोकामनाएं पूरी की हैं।
युवाओं ने भी उत्साह के साथ महादेव की आराधना की और इस बात को सिद्ध कर दिया कि युवा मनों में भी आस्था की लौ जगमगा रही है।