नीलम रत्न को मूल्यवान रत्नों की श्रेणी में रखा जाता है। शनि के उपरत्न कटहला, काकानीली होते हैं। इन्हें नीलम के स्थान पर पहना जा सकता है। जन्मांक में निम्न ग्रह स्थितियों में नीलम धारण करना चाहिए। यह कुरुन्दम वर्ग का रत्न माना जाता है।
एल्युमिनियम आक्साइड और कुरुन्दम के संयोग से इसकी सृष्टि होती है। यह कश्मीर में पाया जाता है। कश्मीरी नीलम अतिश्रेष्ठ माना जाता है।
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चीन, अमेरिका, थाइलैंड, जावा, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और काबुल के पास भी पाया जाता है। अंग्रेजी में इसे 'सेफायर' कहते हैं। बहुत कम समय में यह शुभ अशुभ-प्रभाव दिखा देता है।
- शनि ग्रह का सूर्य, चन्द्र, मंगल से युति अथवा दृष्टि संबंध होने पर व्यक्ति को नीलम नहीं धारण करना चाहिए।
- जन्मांक में शनि, गुरू का नवपंचम योग है तथा शनि का ग्रह अन्य किसी ग्रह से प्रतियोग नहीं तब नीलम धारण करने पर विचार करना चाहिए।
- शनि ग्रह शुभ भावों का स्वामी हो तथा निर्बल स्थिति में हो, तब किसी विद्वान व्यक्ति की सलाह से नीलम रत्न पहनना चाहिए।