आपने पारस मणि, नागमणि, कौस्तुभ मणि, चंद्रकांता मणि, नीलमणि, स्यमंतक मणि, स्फटिक मणि आदि का नाम तो सुना ही होगा, परंतु ही यहां निम्नलिखित नौ मणियों की बात कर रहे हैं- घृत मणि, तैल मणि, भीष्मक मणि, उपलक मणि, स्फटिक मणि, पारस मणि, उलूक मणि, लाजावर्त मणि, मासर मणि। आओ जानते हैं कि घृत मणि को धारण करने से क्या होता है। हालांकि यह सभी बातें मान्यता पर आधारित हैं।
1. घृतमणि को गरुढ़मणि, करकौतुक, कर्केतक भी कहते हैं। फारसी में इसका नाम जबरजद्द अंग्रेजी में पेरिडॉट है।
2. यह एक विशेष प्रकार के हरे, पीले, लाल, श्यामल और मधु मिश्रित रंग पत्थर होता है। खासकर हरा रंग बहुतायत है। इसके उपर छोटे छोटे छींटे होते हैं। इसे बुध के पन्ना रत्न का उपरत्न माना जाता है।
3. ज्योतिष के अनुसार मिथुन राशि में सूर्य या चंद्र ग्रह होने पर इसको चांदी की अंगूठी में मड़वा कर हस्त नक्षत्र में सूर्यमंत्र के साथ अभिमंत्रित करके बाएं हाथ की अनामिका अंगुली में पहनते हैं।
4. और यदि कन्या राशि में सूर्य, चंद्र या बुध हो तो सोने की अंगूठी में मड़वाकर दाएं हाथ की कनिष्ठा अंगुली में पहनते हैं।
5. इस मणि को धारण करने से धन, संपत्ति, संतान आदि में वृद्धि होती है।
6. छोटे बच्चों के गले में पहनाने से नजर दोष से बचाव होता है।
7. कहते हैं कि अस्थमा के रोग में भी यह लाभदायक होती है।
8. इस स्टोन का दूसरा नाम मनी स्टोन भी है क्योंकि इसमें पैसा खींचने की जबर्दस्त शक्ति होती है।
9. इसे धारण करने से जातक लोगों का चहेता बन जाता है। इसे पहनने से आभामंडल बढ़ जाता है।
10. यह दिमाग को एकाग्र रखकर सकारात्मक सोच को बढ़ाता है।