अनुराधा नक्षत्र
जातक को परिश्रम द्वारा मिलेगा लाभ
अनुराधा नक्षत्र का स्वामी शनि है, जो राशि स्वामी मंगल का शत्रु है। यह ना, नी, नू, ने के नाम से जाना जाता है। इस शनि के नक्षत्र में जन्मा जातक उग्र स्वभाव का तुनक मिजाज वाला, स्पष्टवक्ता होता है। ये जीवन में कई उतार-चढ़ाव का सामना करके आगे बढ़ते है। इन्हें स्थायित्व बड़ी मुश्किल से मिलता है। जन्म पत्रिका में यदि नक्षत्र स्वामी शनि की स्थिति ठीक रही तो ये अपने प्रयत्नों उत्तम लाभ पाने वाले होते हैं। राशि स्वामी मंगल उच्च या स्वराशि का हो वही नक्षत्र स्वामी स्वराशि या उच्च या मित्र राशि का हो व मंगल से दृष्टि संबंध न हो तो ऐसे जातक अपनी योग्यता के बल पर उन्नति कर लेते हैं।* मेष लग्न वालों के लिए राशि अष्टम में होगी वहीं नक्षत्र स्वामी कर्मेश व एकादशेश होने से ऐसे जातको को कठिनाइयों के बाद सफलता मिलती है। मंगल यदि दशम भाव में हो या नवम धर्म भाव में मित्र राशि का हो या स्वराशि का हो या पंचम भाव में सूर्य की राशि सिंह में हो व शनि की स्थिति मंगल से रहित व दृष्टि संबंध से रहित होकर कर्म दशम भाव में या चतुर्थ भाव में हो तो शुभ फल मिलेंगे। ऐसा जातक पुलिस या सेना में होकर उच्च पद तक पहुँचने वाला हो सकता है। |
अनुराधा नक्षत्र का स्वामी शनि है, जो राशि स्वामी मंगल का शत्रु है। यह ना, नी, नू, ने के नाम से जाना जाता है। इस शनि के नक्षत्र में जन्मा जातक उग्र स्वभाव का तुनक मिजाज वाला, स्पष्टवक्ता होता है। ये जीवन में कई उतार-चढ़ाव का सामना करके आगे बढ़ते है। |
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* वृषभ लग्न में नक्षत्र स्वामी शनि की स्थिति दशम भाव में श्रेष्ठ मानी जाएगी ऐसा जातक लोहे के तेल के कार्य में उच्च सफलता पाता है। शनि मकर तुला वृषभ का उत्तम फलदायी होगा, वहीं मंगल की स्थिति मकर में ठीक रहेगी नक्षत्र स्वामी से किसी भी लग्न में मंगल या दृष्टि संबंध नहीं होना चाहिए।
* मिथुन लग्न में नक्षत्र स्वामी देगा, मांगलिक होने पर भी मंगल दोष नहीं लगता।
* कर्क लग्न में शनि की स्थिति तृतीय सप्तम, एकादश में ठीक रहेगी वहीं मंगल सप्तम, पंचम, नवम में शुम परिणाम देगा।
* सिंह लग्न में नक्षत्र स्वामी शनि षष्ठ, दशम भाव में मंगल नवम लग्न, पंचम चतुर्थ भाव में शुभ फलदायी रहेगा।
* कन्या लग्न में शनि पंचम नवम लग्न में ठीक रहेगा वहीं राशि स्वामी मंगल चतुर्थ सप्तम पंचम एकादश में ठीक रहेगा।
* तुला लग्न में शनि की स्थिति में ठीक रहेगी, बाकि स्थानों पर स्थितिनुसार परिणाम मिलेंगे। मंगल इस लग्न में अकारक रहेगा। मकर का मंगल कुछ ठीक परिणाम देगा, लेकिन राज्य, नौकरी में पिता में परेशानी डालेगा।
* वृश्चिक लग्न में शनि तृतीय भाव में सप्तम में व मंगल लग्न, पंचम, दशम, एकादश में शुभ रहेगा।
* धनु लग्न में चतुर्थ पंचम नवम में मंगल व नक्षत्र स्वामी शनि द्वितीय सप्तम दशम में कुछ ठीक फल देने वाला होगा।
* मकर लग्न में नक्षत्र स्वामी शनि लग्न, द्वितीय, दशम, षष्ठ व राशि स्वामी मंगल मकर का मेष का शुभ फलदायी रहेगा।
* कुंभ लग्न में नक्षत्र स्वामी शनि लग्न द्वादश, चतमुर्थ में व राशि स्वामी मंगल दशम द्वादश तृतीय सप्तम में ठीक रहेगा।
* मीन लग्न में नक्षत्र स्वामी शनि षष्ठ चतुर्थ तृतीय में ठीक रहेगा, वहीं राशि स्वामी मंगल लग्न, नवम में शुभफलदायी रहेगा। राशि स्वामी व मित्र स्वामी की कहीं पर भी दृष्टि संबंध ठीक नहीं रहेगा। ऐसी स्थिति में मंगल को या शनि को स्थितिनुसार दबाना ही उचित फलदायी रहेगा।