आर्द्रा
आर्द्रा नक्षत्र में जन्मा चतुर चालाक होगा
आकाशमंडल में आर्द्रा नक्षत्र छटा है। यह राहू का नक्षत्र है व मिथुन राशि में आता है। आर्द्रा नक्षत्र का स्वामी राहू है व इसकी दशा 18 वर्ष की होती हैं, लेकिन मिथनु राशि पर 5 माह 12 दिन से 18 वर्ष तक चंद्र की स्थितिनुसार दशा जन्म के समय भोगना पड़ती है। इसके बाद ही ज्ञान के कारक गुरु की दशा लगती है, जो पूरे 16 वर्ष भोगना पड़ती है। किसी भी जातक का जन्म जिस नक्षत्र में होता है। उस नक्षत्र के स्वामी का प्रभाव उसके जीवन पर अवश्य देखा जाता है। आर्द्रा नक्षत्र व मिथुन राशि पर जन्में जातक को राहू व बुध का जीवन भर प्रभाव रहेगा। वहीं गुरु का भी महत्व उसके जीवन में देखने को मिलेगा। इस नक्षत्र में जन्में जातक चंचल स्वभाव के हँसमुख, अभिमानी, दुःख पाने वाले, बुरे विचारों वाले व्यसनी भी होते है। राहू की स्थितिनुसार फल भी मिलता है। मेष लग्न हो राहू लग्न में आर्द्रा नक्षत्र का हो तो ऐसा जातक राजनीति में पराक्रमी, चतुर चालक अपने विरोधियों को परास्त करने वाला, शत्रुहंता होता है। ऐसा जातक अत्यन्त सेक्सी होता है। वृषभ तथा मिथुन का राहू इस लग्न में वाणी से चतुर बनाएगा, शत्रुहंता भी होगा। |
आकाशमंडल में आर्द्रा नक्षत्र छटा है। यह राहू का नक्षत्र है व मिथुन राशि में आता है। आर्द्रा नक्षत्र का स्वामी राहू है व इसकी दशा 18 वर्ष की होती हैं, लेकिन मिथनु राशि पर 5 माह 12 दिन से 18 वर्ष तक चंद्र की स्थितिनुसार दशा जन्म के समय भोगना पड़ती है। |
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नवम भाव में हो तो नीच का होने से भाग्य में बाधा आती है। राहू मेष लग्न में सिंह, कन्या, कुंभ का भी ठीक फलदाई रहेगा। बुध स्वराशि का हो तो यह सिंह का हो दशम में मकर का हो तो ऐसे जातक शुभ फल पाने वाले होंगे। वृषभ लग्न में राहू लग्न में हो तो ऐसा जातक व्यसनी होकर बुरे कार्य करने वाला भी हो सकता है। यदि लग्नेश व राशि स्वामी बुध साथ हो तो अनेक स्त्रियों से संपर्क में रहेगा। लड़की हो तो अनेक युवकों के संपर्क में रहेगी। द्वितीय भाव में राहू बुध साथ हो तो हाजिर जवाब उत्तम वक्ता रहेगा।
राहू की स्थिति इस लग्न में चतुर्थ, पंचम, दशम भाव में ठीक रहेगी। मिथुन लग्न में राहू उच्च का होगा। ऐसे जातक राजनीति में, चतुर चालाक शत्रुहंता होते हैं। लग्न में राहू हो व चतुर्थ में बुध हो तो ऐसे जातक राजनीति में, चतुर, चालाक शत्रुहंता होते हैं।
लग्न में राहू हो व चतुर्थ में बुध हो तो ऐसे जातक राजनीति में उच्च पद तक पहुँचने वाले होते हैं। कर्क लग्न में राहू द्वादश, तृतीय दशम, भाव में शुभ परिणाम देगा, वही लग्न में हो तो चिन्ता, भ्रम मिर्गी जैसे रोग दे सकता है। सिंह लग्न में लग्न में दशम एकादश भाव में राहू अनुकूल रहेगा।
वहीं बुध लग्न द्वितीय पंचम भाव में नवम भाव में हो तो शुभ परिणाम मिलेंगे। कन्या लग्न में राहू दशम में लग्न में नवम में बुध साथ हो तो अति उत्तम राजसुख, राजनीति में मंत्री पद तक पहुँचाने वाला होता है। व्यापार में उत्तम सफलतादायक होता है। तुला लग्न में राहू नवम भाव में द्वादश में चतुर्थ के उत्तम फल देगा, वहीं राशि स्वामी बुध द्वादश में नवम में, चतुर्थ पंचम भाव में शुभ फलदाई होगा।
वृश्चिक लग्न में राहू, एकादश दशम, भाव में अष्टम भाव में शुभ रहेगा। बुध दशम, एकादश में हो उत्तम रहेगा। धनु लग्न में रहा सप्तम में दशम में नवम में पंचम में हो तो उत्तम फलदाई रहेगा। बुध इस लग्न में दशम पंचम नवम, सप्तम में उत्तम रहेगा।
मकर लग्न में राहू नवम भाव में चतुर्थ, पंचम लग्न में शुभ रहेगा। वहीं बुध नवम पंचम लग्न चतुर्थ भाव में शुभ परिणाम देगा। कुंभ लग्न में राहू पंचम भाव में बुध से युक्त हो तो विद्या उत्तम होगी। चतुर्थ में हो तो राजनीति में सफल होगा। बुध पंचम में चतुर्थ में दशम में सप्तम में शुभ परिणाम देगा।
मीन लग्न में राहू चतुर्थ भाव में, एकादश, तृतीय सप्तम भाव में शुभ रहेगा। बुध चतुर्थ सप्तम एकादश भाव में उत्तम परिणाम देगा। दक्षिण भारतीय व हिन्दी फिल्मों में सफल अभिनेत्री पद्मनी की पत्रिका में राहू दशम भाव में था वहीं बुध पंचमेश होकर सप्तम भाव में था, राहू जिस भाव में था उसका स्वामी शनि भाग्य में था। अतः सुंदर होने के साथ साथ मोटी भी थी, वहीं नृत्यांगना भी थी।