चित्रा नक्षत्र
प्रथम दो चरण में जन्मे व्यक्ति को स्वप्रयत्नों से लाभ
आकाशीय मंडल में चौदहवाँ नक्षत्र है। इस नक्षत्र के प्रथम दो चरण कन्या राशि में आते हैं। पे पो नाम से इस नक्षत्र की पहचान होती है। नक्षत्र स्वामी मंगल राशि स्वामी बुध इन दो ग्रहों का जातक पर विशेष प्रभाव पड़ता है। इसके बाद लग्नानुसार उसका भी फल मिलता है। मंगल साहस, ऊर्जा, महत्वाकांक्षा, उग्र स्वभाव का प्रतीक है। इसके साथ अन्य ग्रहों की युति दृष्टि भी अपना अपना प्रभाव दिखाती है। कभी-कभी मंगल की अशुभ स्थिति या शनि से दृष्टि हो तो अनिष्ट कारण भी बनती है। मंगल-गुरु के साथ हो व राशि स्वामी बुध देखे तो कुशल व्यापारी प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस या सेना में उच्च पद मिलता है।ऐसे जातक उत्तम वक्ता के साथ अच्छे वकील भी बन सकते हैं। सी.ए. का भी कारक बन जाता है। मंगल-शुक्र की युति उस जातक को सुंदर तो बनाएगी, लेकिन सेक्सी भी बना देती है। मंगल सूर्य साथ हो तो ऐसे जातक अत्यंत तेजस्वी स्वभाव के साहसी, पराक्रमी, उच्च प्रशासन सेवाओं में जाकर सफलता हासिल करते हैं। राजनीति में सफल होते हैं। |
आकाशीय मंडल में चौदहवाँ नक्षत्र है। इस नक्षत्र के प्रथम दो चरण कन्या राशि में आते हैं। पे पो नाम से इस नक्षत्र की पहचान होती है। नक्षत्र स्वामी मंगल राशि स्वामी बुध इन दो ग्रहों का जातक पर विशेष प्रभाव पड़ता है। इसके बाद लग्नानुसार उसका भी फल मिलता है |
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मंगल-चंद्र साथ हो तो थोड़ा शांत प्रवृत्ति का भी बना देता है। मंगल राहु साथ हो तो ऐसा जातक व्यसनी भी होता है। उच्च के राहु के साथ हो तो राजनीति में सफल होते हैं। मंगल शनि के साथ हो तो अनिष्टकारी होता है। जिस भाव में हो तो जिस भाव में संबंध हो या दृष्टि हो तो उस भाव के प्रभाव को नष्ट कर देता है। इसका अकसर प्रभाव 40 वर्ष के बाद दिखाई देता है।
मेष लग्न में मंगल की उत्तम स्थिति लग्न, पंचम, नवम भाव में शुभ मानी जा सकती है। लेकिन लग्न का मंगल पत्नी क्षेत्र में या पति क्षेत्र में अशुभ रहता है। यदि मंगल सप्तमेश के साथ हो तब भी दांपत्य जीनव बिगाड़ देती है।
वृषभ लग्न में नक्षत्र स्वामी मंगल की स्थिति चतुर्थ भाव में पंचम भाव में उत्तम रहेगी, वहीं यदि राशि स्वामी बुध के साथ हो तो जातक अपनी योग्यता का भरपूर लाभ पाने वाला होता है।
मिथुन लग्न में मंगल लग्न में चतुर्थ भाव में तृतीय भाव में शुभ परिणाम देने वाली होगी। बुध यदि मेष में हो या वृश्चिक राशि में हो व नक्षत्र स्वामी मंगल मिथुन राशि में या कन्या राशि में हो तो उत्तम राजयोगकारी होगा। ऐसे जातक व्यापार में जमीन के कार्य में सफल होते है। यदि शुक्र मंगल बुध साथ हो तो होटल व्यवसाय में भी सफलता पाते हैं।
कर्क लग्न में मंगल पंचम नवम तृतीय भाव में हो तो शुभ परिणाम देता है। राशि स्वामी बुध पंचम में या दशम में उत्तम फलदायी होंगे।
सिंह लग्न में मंगल नवम, चतुर्थ, लग्न, पंचम भाव में हो व बुध एकादश का द्वितीय लग्न में उत्तम फलदायी होकर धनदाता होगा।
कन्या लग्न में मंगल पंचम, चतुर्थ, दशम भाव में शुभफलदायी होकर विद्या, संतान, राज्य माता से लाभकारी बनाता है। इस लग्न में बुध की स्थिति लग्न, दशम, तृतीय, पंचम भाव में शुभ रहेगी।
तुला लग्न में नक्षत्र स्वामी मंगलल द्वितीय, चतुर्थ, सप्तम भाव में जहाँ होगा वहीं परिणाम शुभ देगा।
वृश्चिक लग्न में मंगल की स्थिति लग्न पंचम, दशम, एकादश भाव में उत्तम फलदायी रहेगी। राशि स्वामी बुध, दशम, लग्न, चतुर्थ भाव में उत्तम रहेगी।
धनु लग्न में पंचम लग्न, दशम, नवम भाव में मंगल शुभ परिणाम देगा, यदि राशि स्वामी बुध, कन्या सप्तम, नवम भाव में शुभ परिणाम देगा।
मकर लग्न में मंगल की स्थिति लग्न में तृतीय, चतुर्थ, एकादश भाव में ठीक रहेगा। इसकी दृष्टि या अशुभ रहेगी।
कुंभ लग्न में एकादश भाव में दशम भाव में तृतीय में ठीक फल देगा। लेकिन इसकी दृष्टि या ठीक नही रहेगी।
मीन लग्न में मंगल की स्थिति लग्न, नवम, दशम भाव में शुभ रहेगी। नक्षत्र स्वामी शुभ स्थान में हो तो उतम सफलता दायक रहेगा। अशुभ स्थिति में हो तो फल भी अशुभ मिलेंगे।