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पुनर्वसु नक्षत्र

पुनर्वसु में जन्मा जातक व्यवहार कुशल होता है

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हमें फॉलो करें पुनर्वसु नक्षत्र
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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

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पुनर्वसु सातवाँ नक्षत्र है। मिथुन राशि में इसके चारो चरण आते हैं। इस नक्षत्र का स्वामी गुरु है। गुरु ज्ञान, न्यायप्रियता, संगठन क्षमता, महत्वाकाँक्षा, धर्म, कर्म को मानने वाला, बड़ों का आदर करने वाला, प्रशासनिक क्षमता को बढ़ाने वाला होता है।

राशि स्वामी बुध है, जो वणिज होकर उत्तम वक्ता, बुद्धिजीवी वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है। गुरु व बुध का साथ हो तो ऐसा जातक अनपढ़ होने पर भी अपनी कुशलता से उच्च बन जाता है। गुरु जन्म के समय चंद्रमा की स्थितिनुसार 16 वर्ष या कम दशा भोगता है।

इस जातक का बचपन बड़े ही लाड़-प्यार से व्यतित होता है। प्रारंभ से ही विद्या बुद्धि उत्तम रहती है। ऐसे जातकों को अन्याय व धोखा सहन नही होता है, यदि कोई इनके साथ धोखा करते हैं तो ये आक्रामक भी बन जाते हैं। पुर्नवसु में जन्मे जातकों पर गुरु का सर्वाधिक प्रभाव रहेगा। इसकी जन्म कुंडली स्थितिनुसार फल मिलेगा।
  पुनर्वसु सातवाँ नक्षत्र है। मिथुन राशि में इसके चारो चरण आते हैं। इस नक्षत्र का स्वामी गुरु है। गुरु ज्ञान, न्यायप्रियता, संगठन क्षमता, महत्वाकाँक्षा, धर्म, कर्म को मानने वाला, बड़ों का आदर करने वाला, प्रशासनिक क्षमता को बढ़ाने वाला होता है।      


मेष लग्न में गुरु लग्न पंचम नवम चतुर्थ तृतीय भाव में हो या द्वादश भाव में हो व बुध कि स्थिति तृतीय, पंचम, लग्न, दशम भाव में हो तो ऐसे जातक उत्तम ज्योतिष, सलाहकार भी होते है। पत्रकारिता, प्रकाशन, लेखन कार्य में सफल होते हैं।

मिथुन लग्न में यदि गुरु दशम भाव में हो व बुध लग्न चतुर्थ भाव में हो तो ऐसा जातक वकील, सफल व्यापारी, कुल का गौरव बढ़ाने वाला होता है। ऐसा जातक विद्वान अवश्य होता है। राज्य पक्ष से राजनीति में भी लाभ पाते हैं। कुछ एक प्रशासनिक कार्यों में भी सफल होते हैं। कर्क लग्न में गुरु मेष का हो तो ऐसे जातक सभी क्षेत्र में सफलता पाते हैं। ऐसे जातक कुल गौरव बढ़ाने वाले, भाग्यशाली, नाना-मामा से लाभ पाने वाले, धर्म-कर्म में आस्थावान होते हैं।

इस लग्न में गुरु लग्न, नवम, पंचम, तृतीय भाव में द्वितीय भाव में हो तो अधिक शुभ परिणाम मिलते हैं। बुध की स्थिति दशम, सप्तम, पंचम तृतीय, द्वितीय भाव में ठीक रहती है। सिंह लग्न में गुरु पंचम, नवम, लग्न, चतुर्थ, तृतीय, एकादश सप्तम में शुभ परिणाम देता है। बुध लग्न में एकादश, नवम, चतुर्थ पंचम भाव में उत्तम रहेगा।

कन्या लग्न में गुरु चतुर्थ सप्तम में बुध लग्न दशम, पंचम में उत्तम फल देगा। तुला लग्न में गुरु की स्थिति दशम में उत्तम राजसुख कर्ज से रहित, प्रतिष्ठावान बनाएँगे। बुध नवम, द्वादश, तृतीय, चतुर्थ भाव में शुभ परिणाम देगा। वृश्चिक लग्न में गुरु नवम, लग्न, पंचम, दशम भाव में हो तो अति शुभ परिणाम देने वाला होता है। बुध एकादश, दशम, लग्न में उत्तम रहता है। धनु लग्न में गुरु लग्न में, पंचम में, नवम भाव में, दशम भाव में बुध के साथ हो तो उत्तम फल देगा।

मकर लग्न में गुरु एकादश तृतीय, सप्तम में ठीक रहेगा वही बुध नवम तृतीय, लग्न चतुर्थ भाव में उत्तम रहेगा। कुंभ लग्न में गुरु दशम, द्वितीय, एकादश सप्तम भाव में उत्तम फल देगा। वही बुध पंचम, एकादश सप्तम लग्न में शुभ रहेगा। मीन लग्न में गुरु नवम, लग्न, पंचम में, दशम भाव में हो तो उत्तम फल देने वाला होगा वही बुध सप्तम लग्न चतुर्थ नवम एकादश में हो तो उत्तम फलदाई होगा।

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