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पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति का भविष्यफल

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हमें फॉलो करें पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र
0 डिग्री से लेकर 360 डिग्री तक सारे नक्षत्रों का नामकरण इस प्रकार किया गया है- अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती। 28वां नक्षत्र अभिजीत है।

आइए जानते हैं पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे जातक का भविष्यफल।

नक्षत्र मंडल में पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र 20वें नंबर पर है। 'पूर्वाषाढ़ा' का अर्थ 'विजय से पूर्व' होता है। वैदिक ज्योतिष पूर्वाषाढ़ा को एक स्त्री नक्षत्र मानता है जिसका कारण इस नक्षत्र का अप: तथा शुक्र के साथ संबंध माना जाता है। पंच तत्वों में से पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र को वायु तत्व के साथ जोड़ा जाता है। वायु तत्व का इस नक्षत्र पर प्रभाव होने के कारण भी इस नक्षत्र के जातक अव्यावहारिक तथा आधारहीन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रयास करते हैं।

अगले पन्ने पर जानिए पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के जातक का भविष्यफल...


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पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र : शुक्र को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का अधिपति ग्रह माना गया है जिसके चलते इस नक्षत्र पर शुक्र का प्रभाव भी पड़ता है। शुक्र का प्रभाव पड़ने से जातक प्रेम करने वाला तथा जीवन को जीने की कला जानने वाला होता है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के चारों चरण धनु राशि में स्थित होते हैं जिसके चलते इस नक्षत्र पर बृहस्पति का प्रभाव भी पड़ता है। बृहस्पति के कारण जातक महत्वाकांक्षी, आशावादी, प्रसन्नचित्त रहता है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र को वर्ण से ब्राह्मण माना जाता है।

* प्रतीक : सूपड़ा, हाथी दांत या हाथ का पंखा
* रंग : काला
* अक्षर : ब और ज
* वृक्ष : सीता, अशोक का पेड़
* देव अप : (अष्ट वसुओं में से एक जल के देवता)
* नक्षत्र स्वामी : शुक्र
* राशि स्वामी : गुरु
* भौतिक सुख : स्त्री और भूमि, भवन सुख
* शारीरिक गठन : सुंदर चेहरा और कद-काठी सामान्य

सकारात्मक पक्ष : पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के लोग निडर, आक्रामक और टकराने वाले होते हैं। ये भगवान से डरने वाले, विनम्र, ईमानदार और द्वेष और पाखंड से कोसों दूर होते हैं। इनकी धर्म-कर्म में रुचि होती हैं। पेशे से पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के लोग शिपिंग, नौकायन, समुद्री जीवन और पानी की उपयोगिताओं से संबंधित कार्य करते हैं।

नकारात्मक पक्ष : कुंडली में गुरु और शुक्र की स्थिति सही नहीं है तो ऐसे जातक बुद्धि और आचरण खो बैठते हैं। ये बेहद जिद्दी होते हैं और अगर उकसाया जाए तो बहसबाजी पर उतारू हो सकते हैं। ये नफा-नुकसान के बारे में सोचे बिना निर्णय ले लेते हैं।

प्रस्तुति- शतायु



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