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पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र

शुक्र के नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा में जन्मा जातक आकर्षक

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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

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नक्षत्रों का प्रभाव जीवन में अवश्य प्रभावी होता है। किसी किसी के मुँह से हमने सुना भी है कि तुम किस नक्षत्र में जन्मे हो। नक्षत्र का स्वामी राशि स्वामी में मैत्री हो तो अति उत्तम फलदायी होता है। यदि दोनों एक-दूसरे के शत्रु हों तो फल में भी कुछ न कुछ अंतर आ जाता है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र मंडल का 20वाँ नक्षत्र है। यह धनुराशि में आता है। इस नक्षत्र का स्वामी शुक है तो राशि स्वामी शुक्र। नक्षत्र स्वामी की सर्वाधिक दशा 20 वर्ष की होती है। इसके बाद सूर्य व चंद्र 16 वर्ष की दशा रहती है।

इस नक्षत्र में जितना भी योग्य वर्ष होता है, वह लगभग बचपन से लेकर युवावस्था तक यही दशा चंद्र के अनुसार रहती है। इनके प्रारंभिक जीवनकाल में शुक्र, चंद्र,सूर्य का विशेष महत्व रहेगा। इसी दशा-अंतरदशा में पढ़ाई, विवाद, सर्विस आदि के योग बनेंगे। इनका जन्म लग्न में शुभ होकर बैठना अति उत्तम फलदायी रहेगा।

शुक्र कला, धन, सौंदर्य प्रसाधन, ब्यूटीशियन, चिकित्सा, इंजीनियर, इलेक्ट्रॉनिक, कामवासना आदि का कारक है। वहीं राशि गुरु महत्वाकांक्षा, ईमानदारी, दया भाव, राजनीतिक, प्रशासनिक संगठन आदि का कारक है। शुक्र यदि स्वराशि या उच्च का हो तो ऐसे जातक सुंदर, कलाकार आदि होते हैं वहीं गुरु स्वराशि या उच्च का हो तो ये अपने कार्यक्षेत्र में प्रगति के साथ ईमानदार होते हैं। इनमें कला के साथ सद्गुण भी होते हैं।
  पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र मंडल का 20वाँ नक्षत्र है। यह धनुराशि में आता है। इस नक्षत्र का स्वामी शुक है तो राशि स्वामी शुक्र। नक्षत्र स्वामी की सर्वाधिक दशा 20 वर्ष की होती है। इसके बाद सूर्य व चंद्र 16 वर्ष की दशा रहती है।      
मेष लग्न हो व शुक्र नक्षत्र स्वामी सप्तम में हो तो ऐसे जातक की स्त्री या पति धनी होगा या धन की कभी कमी नहीं रहेगी। शुक्र इस लग्न में उच्च का हो तो बाहर से लाभ मिले, विदेश में रहकर धन पाए।

द्वितीय भाव में स्वराशि वृषभ का हो तो ऐसे जातक को अपनी वाणी से धन मिले। स्वर उत्तम हो गायन के क्षेत्र में सफलता पाए। शुक्र चतुर्थ में दशम में भी शुभ फलदायी होगा। वृषभ लग्न में शुक्र लग्न, एकादश, दशम, नवम में शुभ फल देगा, वहीं राशि स्वामी गुरु, तृतीय, एकादश, चतुर्थ सप्तम में शुभफलदायी होगा। शुक्र चतुर्थ में हो तो दांपत्य सुख नहीं मिलता, लेकिन ऐसा जातक जनता के बीच प्रसिद्ध होता है।

मिथुन लग्न में नक्षत्र स्वामी शुक्र, पंचम, द्वादश में हो तो शुभफलदायी रहेगा वहीं गुरु दशम, सप्तम, एकादश, तृतीय में शुभफलदायी रहेगा।

कर्क लग्न में शुक्र नवम, एकादश, चतुर्थ, सप्तम में उत्तम फल देगा, वहीं गुरु नवम, लग्न, पंचम, दशम में शुभ परिणाम देगा।

सिंह लग्न में शुक्र दशम, तृतीय, सप्तम में शुभफलदायी होगा। वहीं गुरु लग्न नवम,पंचम, चतुर्थ में शुभ फलदायी होगा।

कन्या लग्न में शुक्र नवम, तृतीय, सप्तम, पंचम, एकादश में लाभकारी होगा। वहीं गुरु चतुर्थ, सप्तम, तृतीय में शुभ फल देगा।

तुला लग्न में नक्षत्र स्वामी लग्न, पंचम, चतुर्थ, दशम में व गुरु की स्थिति एकादश, द्वितीय, तृतीय में उतम फलदायी रहेगा। दशम में हो तो ऐसा जातक कुलदीपक रहेगा।

वृश्चिक लग्न में शुक्र, सप्तम, पंचम, द्वादश, तृतीय, नवम में शुभ रहेगा। वहीं गुरु लग्न पंचम, नवम, दशम में शुभ फलदायी रहेगा। इस लग्न में शुक्र सप्तम में गुरु दशम में हो तो ऐसा जातक कुल का नाम रोशन करता है।

धनु लग्न में नक्षत्र स्वामी शुक्र एकादश, चतुर्थ, द्वितीय भाव में शुभ वहीं गुरु लग्न, चतुर्थ, पंचम, नवम में उत्तम फलदायी रहेगा।

मकर लग्न में शुक्र दशम, पंचम, लग्न में शुभ रहेगा, वहीं गुरु सप्तम, एकादश, तृतीय में शुभ परिणाम देगा।

कुंभ लग्न में शुक्र नवम, चतुर्थ लग्न, द्वितीय भाव में उतम फलदायी रहेगा, वहीं गुरु दशम, द्वितीय, एकादश, तृतीय में अनुकूल रहेगा।

मीन लग्न में शुक्र लग्न, एकादश, द्वादश, तृतीय, पंचम में शुभ रहेगा। वहीं गुरु लग्न, पंचम, नवम, दशम में शुभ परिणाम देगा। सूर्य चंद्र की स्थिति शुभकारी रही तो ऐसा जातक विद्या से लाभ पाने वाला उत्तम सर्विस पाने वाला गुणी होगा।

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