1.आकाश मंडल में तारों के समूह को नक्षत्र कहते हैं। प्राचीन आचार्यों ने हमारे आकाश मंडल को 28 नक्षत्र मंडलों में बांटा है। नक्षत्रों की जानकारी की इस सीरीज में इस बार जानिए तीसरा नक्षत्र कृतिका या कृत्तिका।
2. कृत्तिका नक्षत्र आकाश मंडल में तीसरा नक्षत्र है। कृत्तिका नक्षत्र का स्वामी सूर्य व राशि शुक्र है। इस नक्षत्र का रंग सफेद और वृक्ष गूलर है। यह नक्षत्र आकाश में अग्निशिखा की तरह दिखाई देता है। कृत्तिका खुली आंखों से दिखाई देने वाले 6 तारों का एक समूह है, जो आकाश में वृष राशि के समीप दिखाई पड़ता है। हालांकि इसमें सैकड़ों तारे होते हैं।
3. वृभष राशि में कृत्तिका नक्षत्र के अंतिम 3 चरण होते हैं। नक्षत्र स्वामी सूर्य व राशि स्वामी शुक्र है। अवकहड़ा चक्र के अनुसार कृत्तिका नक्षत्र के पहले चरण में जन्म होने पर जन्म राशि मेष, राशि स्वामी मंगल तथा शेष 3 चरणों में जन्म होने पर राशि वृषभ तथा राशि स्वामी शुक्र, वर्ण वैश्य, वश्य चतुष्पद, योनि मेढ़ा, महावैर योनि वानर, गण राक्षस है। इस तरह जातक पर मंगल, सूर्य और शुक्र का जीवनभर प्रभाव रहता है।
4.इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक का शरीर कोमल लेकिन स्वस्थ होता है। पहले चरण में जन्म हुआ है तो गठिला बदन होगा। स्त्री और मकान सुख रहेगा और ऐसा जातक विख्यात भी होगा।
5.इस नक्षत्र जन्म लेने वाले तेजस्वी, विद्वान, ईमानदार, धनलोभी, प्रेमी स्वभाव, उदार हृदय, मित्र समूह बनाने वाले, सामाजिक कार्यों में रुचि लेने वाले, अतिथि सत्कार में कुशल, कला एवं कला विज्ञान में कुशल, अभिनय एवं नाट्य क्षेत्र में रुचि रखने वाले होते हैं।
6. यदि सूर्य और शुक्र की स्थिति ठीक नहीं है तो जातक कृतघ्न, कृपण, क्षुधा से पीड़ित, सत्य और धनरहित, परस्त्रीगामी, बिना कार्य घूमने वाला, कठोर वाणी बोलने वाला, दुखी और अकर्तव्य करने वाला होता है। साथ ही आरामपसंद और विलास प्रेमी, जुए एवं सट्टे के प्रति रुचि रखने वाला होगा।