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अश्विन नक्षत्र

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हमें फॉलो करें अश्विन 27 नक्षत्र
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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

यदि आपका जन्म अश्विन नक्षत्र में हुआ है तो आपकी राशि मेष व जन्म नक्षत्र स्वामी केतु होगा। राशि स्वामी मंगल व केतु का प्रभाव आपके जीवन पर अधिक दिखाई देगा। मेष लग्न में जन्मे हैं तो मंगल लग्न में होने से व केतु भी मेष का हो तो आप स्वभाव से जिद्दी, गुस्सैल भी होंगे, वहीं किसी भी कर्य में हठी होंगे, जब तक वह कार्य को अन्जाम न दे दें तब तक आप चुप नहीं बैठेंगे।

आपके इसी कारण दुश्मन भी अधिक होंगे। आपकी पत्नी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा। केतु धनु राशि में हो व मंगल उच्च का हो तो आप उन्नतिवान होंगे व जीवन में पीछे मुड़कर नहीं देखेंगे। यदि आप पुलिस या सेना में जाए तो उत्तम सफलता पाएँगे। इसी के साथ यदि गुरु व शनि की स्थिति ठीक रही तो आप अनेक उच्च पदों पर आसीन होंगे। राजनीति में हो तो सदैव उन्नति पाकर मंत्री भी बन सकते हैं।

व्यापार में हो तो व्यापार चारो ओर फैलेगा। मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती रहेगी। अनेक बार पुरस्कार भी मिलेंगे। मंगल नीच का हो, वहीं केतु भी मिथुन में हो तो ऐसे जातक व्यसनी, कामुक, अनैतिक कार्य करने वाले सदैव कष्ट भोगने वाले होते है। गुरु की राशि में मंगल हो या केतु गुरु की राशि में हो तथा मंगल धनु या मीन में केतु मीन में या धनु में हो तो ऐसे जातक धर्म के प्रति निष्ठावान, मान-प्रतिष्ठावान, शत्रुहन्ता, उच्च पदों पर पहुँचने वाले, महत्वाकांक्षी भी होते हैं। ऐसे जातक अपने प्रयत्नों से जीवन में सफल होते ही है।
यदि आपका जन्म अश्विन नक्षत्र में हुआ है तो आपकी राशि मेष व जन्म नक्षत्र स्वामी केतु होगा। राशि स्वामी मंगल व केतु का प्रभाव आपके जीवन पर अधिक दिखाई देगा।
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मंगल अष्टम में हो व केतु भी साथ हो तो ऐसेजातक की दुर्घटना में मृत्यु तक हो जाती है या ऑपरेशन अवश्य होता है। जीवन में अनेक संकटों का सामना करना पड़ता है। मंगल, केतु सप्तम भाव में हो तो पहली पत्नी न रहे, षष्ट भाव में मंगल केतु की स्थिति हो तो शत्रु नष्ट हो, नाना-मामा से नहीं बनती है, पशु से चोट लग सकती है।

पंचम भाव में मंगल हो या केतु धनु, मेष या मीन राशि में हो तो ऐसा जातक विद्या में तेज होता है। उसके पुत्र अधिक होते है। कही से भी मंगल की केतु पर दृष्टि होतो उसे हठी बना देती है। यदि ऐसे जातक किसी लक्ष्य को पाने में लग जाए तो उनके लिए आसान हो जाता है। केतु जिस ग्रहों के साथ हो और मंगल की स्थिति जैसी भी हो वह वैसा परिणाम देते हैं। इनका परिणाम जीवन में मिलता ही है, लेकिन इनकी दशा अंतरदशा में अधिक मिलता है।

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