यदि आपका जन्म अश्विन नक्षत्र में हुआ है तो आपकी राशि मेष व जन्म नक्षत्र स्वामी केतु होगा। राशि स्वामी मंगल व केतु का प्रभाव आपके जीवन पर अधिक दिखाई देगा।
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मंगल अष्टम में हो व केतु भी साथ हो तो ऐसेजातक की दुर्घटना में मृत्यु तक हो जाती है या ऑपरेशन अवश्य होता है। जीवन में अनेक संकटों का सामना करना पड़ता है। मंगल, केतु सप्तम भाव में हो तो पहली पत्नी न रहे, षष्ट भाव में मंगल केतु की स्थिति हो तो शत्रु नष्ट हो, नाना-मामा से नहीं बनती है, पशु से चोट लग सकती है।
पंचम भाव में मंगल हो या केतु धनु, मेष या मीन राशि में हो तो ऐसा जातक विद्या में तेज होता है। उसके पुत्र अधिक होते है। कही से भी मंगल की केतु पर दृष्टि होतो उसे हठी बना देती है। यदि ऐसे जातक किसी लक्ष्य को पाने में लग जाए तो उनके लिए आसान हो जाता है। केतु जिस ग्रहों के साथ हो और मंगल की स्थिति जैसी भी हो वह वैसा परिणाम देते हैं। इनका परिणाम जीवन में मिलता ही है, लेकिन इनकी दशा अंतरदशा में अधिक मिलता है।