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ग्रहों पर रंगथैरेपी द्वारा पाएँ काबू

ग्रहों के विशिष्ट रंग बदल सकते हैं तकदीर

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भारती पंडित

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प्रत्येक ग्रह का एक विशेष रंग होता है जो उस ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। यही नहीं विशेष ग्रह से प्रभावित लोगों की रुचि भी उस ग्रह के रंग को पहनने में होती है जैसे शनि से प्रभावित लोग काला रंग पसंद करते हैं, शुक्र लाल रंग पहनने को प्रेरित करता है।

यदि कुंडली में कोई ग्रह शुभ होकर बुरे भाव में है, प्रतिकूल है तो उसे रंगथैरेपी द्वारा काबू में लाया जा सकता है। हालाँकि इसमें देर लगती है मगर कार्य सिद्ध होता अवश्य है। अत: यदि रत्न पहनना हमारे बस में न हो तो रंगों से ग्रह सुधारे जा सकते हैं।

ग्रहों के रंग‍ निम्न हैं - सूर्य-चंद्रमा- श्वेत, मंगल- नारंगी, लाल, गुरु- पीला-केसरिया, बुध- हरा, शनि- काला, नीला, शुक्र- लाल, राहु- नीला, केतु- स्लेटी

इनमें से मूलत: तीन रंगों को प्रधान (मुख्‍य) माना जाता है, जिनसे ग्रहों को मजबूत किया जाता है।

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नारंगी : यह बृहस्पति का रंग है। इस रंग का प्रयोग करने से शुक्र, गुरु, मंगल मजबूत होते हैं। यह ज्ञान वृद्धि करता है, पेट की तकलीफें दूर करता है, गुस्सा नियंत्रित करता है, मानसिक शांति प्रदान करता है।

हरा : यह बुध का प्रतिनिधि रंग है जो बुद्धि को प्रखर बनाता है, चित्त निर्मल करता है। यह रंग त्वचा की एलर्जी, चर्म रोग व वाणी संबंधी दोषों को दूर करने में भी सहायक होता है। स्मरण शक्ति बढ़ाना, वाक् शक्ति मजबूत करना भी इसके फलरूप में मिलता है।

आसमानी : यह शांति का प्रतीक है। यह रंग चंद्र, शनि, राहु का प्रतिनिधित्व करता है। इसे पहनने से मन स्थिर रहता है। मानसिक रोग, मिर्गी, संतुलन बिगड़ना आदि में भी यह रंग पहनने से फायदा होता है। यह रंग गहराई का प्रतीक है व संतुलित व्यक्तित्व को दर्शाता है।

ग्रहों के रंग के कपड़े पहनने, हाथ में उस रंग का धागा बाँधने या उस रंग की बोतल में पानी भरकर उसे पीने से लाभ मिलता है।

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