Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

चंद्रमा

Advertiesment
हमें फॉलो करें चंद्रमा
नवग्रहों में दूसरा स्थान प्राप्त चंद्रमा की महादशा दस वर्ष की होती है। ये कर्क राशि के स्वामी हैं। इन्हें नक्षत्रों का भी स्वामी कहा जाता है। चंद्रमा के अधिदेवता अप्‌ और प्रत्यधिदेवता उमा देवी हैं। श्रीमद्भागवत के अनुसार चंद्रदेव महर्षि अत्रि और अनुसूया के पुत्र हैं। इनको सर्वमय कहा गया है। ये सोलह कलाओं से युक्त हैं। इन्हें अन्नमय, मनोमय, अमृतमय पुरुषस्वरूप भगवान कहा जाता है।

चंद्रमा का स्वरू
* चंद्र ग्रह का वर्ण गौर है।
* इनके वस्त्र, अश्व और रथ तीनों श्वेत हैं।
* चंद्र ग्रह के दस घोड़ों वाले वाहन रथ में तीन चक्र होते हैं।
* भगवान चंद्र कमल के आसन पर विराजमान हैं।
* इनके सिर पर सुंदर स्वर्णमुकुट तथा गले में मोतियों की माला है।
* इनके एक हाथ में गदा है और दूसरा हाथ वरमुद्रा में है।

चंद्रदेव के बारे में अन्य जानकार
* भगवान श्रीकृष्ण ने इन्हीं के वंश में अवतार लिया था। इसीलिए वे चंद्र की सोलह कलाओं से युक्त थे।
* चंद्र ग्रह ही सभी देवता, पितर, यक्ष, मनुष्य, भूत, पशु-पक्षी और वृक्ष आदि के प्राणों का आप्यायन करते हैं।
* प्रजापितामह ब्रह्मा ने चंद्र देवता को बीज, औषधि, जल तथा ब्राह्मणों का राजा बनाया।
* चंद्रमा का विवाह राजा दक्ष की सत्ताईस कन्याओं से हुआ। ये कन्याएँ सत्ताईस नक्षत्रों के रूप में भी जानी जाती हैं जैसे अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी आदि। (हरिवंशपुराण) चंद्रदेव के पुत्र का नाम बुध है।

चंद्रदेव उपासना मंत्
चंद्र ग्रह की उपासना के लिए निम्न में से किसी भी मंत्र का श्रद्धानुसार नियमित एक निश्चित संख्या में जप करना चाहिए। कुल जप-संख्या 11000 है तथा उचित समय संध्याकाल है।

वैदिक मंत्र-
'ॐ इमं देवा असपत्न गुं सुवध्वं।
महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठाय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय।
इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश वोऽमी राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणाना गुं राजा॥

पौराणिक मंत्र-
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम्‌।
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम्‌॥

बीज मंत्र-
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः।

सामान्य मंत्र-
ॐ सों सोमाय नमः।

चंद्रदेव की शांति के उपा
पूर्णिमा को चंद्रोदय के समय ताँबे के बर्तन में मधुमिश्रित पकवान यदि चंद्रदेव को अर्पित किए जाएँ तो इनकी तृप्ति होती है। उससे प्रसन्न होकर चंद्रदेव सभी कृष्टों से त्राण दिलाते हैं। इनकी तृप्ति से आदित्य विश्वेदेव, मरुद्गण और वायुदेव भी तृप्त होते हैं।

चंद्र ग्रह की प्रसन्नता और शांति के लिए सोमवार का व्रत, शिवोपासना, शिवस्तुति तथा मोती धारण करना चाहिए।

ब्राह्मणों को चावल, कपूर, सफेद वस्त्र, चाँदी, शंख, वंशपात्र, सफेद चंदन, श्वेत पुष्प, चीनी, बैल, दही और मोती दान करना चाहिए।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi