उज्जैन के खगोल प्रेमी तीन ग्रहों के त्रिकोणी मिलन का नजारा देखने से वंचित रह गए। बादलों की छाई मोटी परत के कारण यह संभव नहीं हो सका। हालाँकि जीवाजी वेधशाला के टेलीस्कोप से इस आकर्षक दृश्य को शाम 6.15 से 6.35 तक देखा गया। यह दृश्य ईद के चाँद के आसपास सजे सितारों जैसा दिखाई दिया।
पिछले कई दिनों से खगोल प्रेमियों में बृहस्पति, शुक्र और चंद्रमा के त्रिकोणीय मिलन को देखने की उत्कंठा बनी हुई थी। किंतु मौसम साफ नहीं होने से इस नजारे को अपेक्षानुसार नहीं देखा जा सका।
अब यह दृश्य 11 जून 2011 को देखा जा सकेगा। खगोलविद् संजय केथवास ने अनुमान लगाया था कि इस मिलन के चलते तूफान और बारिश आ सकती है। ऐसा तो नहीं हुआ किंतु बादल जरूर छाए रहे।
ज्योतिषियों के मुताबिक गुरु, शुक्र और चंद्र ग्रह एक साथ होने से देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए और अधिक चौकन्ना रहने की आवश्यकता है। गुरु और शुक्र विपरीत ग्रह हैं। इन तीनों ग्रहों के मिलन का असर लगभग एक माह तक रहेगा।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. आनंद शंकर व्यास ने बताया कि गुरु जहाँ दैवीय शक्ति का प्रतीक है, वहीं शुक्र आसुरी प्रवृत्ति के कारण पहचाना जाता है। चंद्र ठंडा ग्रह कहलाता है। लेकिन गुरु और शुक्र एक साथ होने से इसका असर विपरीत हो सकता है।