मेष लग्न वृषभ राशि वालों को शनि की साढ़ेसाती जब लगती है तो शनि की स्थिति मेष में होती। तब प्रथम साढ़ेसाती मानी जाती है। शनि की लग्न पर नीच दृष्टि पड़ेगी। ऐसे जातक को काफी परेशानी का अनुभव होगा। घर-परिवार में अशांति, नौकरी में हों तो जाने का डर, व्यापार में हो तो घाटा सहना पड़ता है। मानसिक चिन्ता व अनेक प्रकार के कष्ट को देखना पड़ सकता है। लेकिन शनि की सप्तम दृष्टि पड़ने से शत्रु पर प्रभाव रहता है।नाना, मामा का सहयोग मिलता है। शनि की दशम दृष्टि मकर राशि पर पड़ने से राज्य, व्यापार आदि में कुछ न कुछ लाभ रहता है जिससे इस कठिन दौर से गुजरने का बल मिल सके। ऐसी स्थिति में पिता का सहयोग लेकर चलना व पिता की सेवा व आशीर्वाद लाभदायक रहता है। शनि की दूसरी साढ़ेसाती वृषभ पर मित्र राशि पर होने से धन कुटुम्ब का सहयोग पाता है व कुछ बचत के योग भी बनते हैं। शनि की तृतीय दृष्टि सम चतुर्थ भाव पर पड़ने से माता, भूमि-भवन, कुर्सी, जनता से संबंधित कार्यों में सफलता मिलती है। शनि की सप्तम दृष्टि अष्टम भाव पर पड़ने से स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। वाहनादि से भी बचकर चलना चाहिए व गति पर नियंत्रण रखकर चलाना होगा। शनि की दशम दृष्टि स्वराशि कुंभ पर पड़ने से आय के क्षेत्र में सफलता पाते हैं। अकस्मात धन लाभ भी मिलता है।
शनि की तृतीय साढ़ेसाती मिथुन पर से शनि के भ्रमण से होगी, अतः पराक्रम में वृद्धि होगी, भाइयों का सहयोग मिलेगा, शत्रु वर्ग प्रभावहीन होंगे। शनि की तृतीय दृष्टि शत्रु पंचम भाव पर पड़ने से विद्यार्थी वर्ग के लिए काफी परिश्रम का रहेगा। जो महिला गर्भवती हों उन्हें संभलकर चलना होगा। प्रेम संबंधित मामलों से बचकर चलें।
शनि की सप्तम दृष्टि नवम भाग्य भाव पर सम पड़ने से मिले-जुले परिणाम रहेंगे। भाग्य में वृद्धि, यश, धर्म, कर्म में मन लगेगा। शनि की दशम दृष्टि द्वादश भाव पर भी सम पड़ने से बाहरी संबंधों में सुधार आएगा, विदेश यात्रा के योग भी बन सकते हैं।
इसी प्रकार शनि जन्म के समय मकर राशि पर हो तो उत्तम रहेगा। अशुभ फल मिलने पर शनि अमावस्या को काले उड़द, सवा पाव लेकर काले कपड़े में बाँधकर शुक्रवार की रात अपने पास रखकर सोएँ व दूसरे दिन माँगने वाले बुजुर्ग को दे दें। लेकिन माँगने वाली महिला को न दें। काला सुरमा अपने ऊपर से नौ बार उतारकर सुनसान जगह पर गाड़ दें।
ऐसा करने से शनि की पीड़ा शांत होगी। शनि दर्शन से बचें व नीलम कदापि न पहनें।