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लग्न में जब गुरु हो

कई मायनों में महत्वपूर्ण है बृहस्पति

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भारती पंडित

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लग्न का बृहस्पति कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जाता है। लग्न का बृहस्पति जातक को विद्या पि‍पासु बना देता है। हर तरह से ज्ञान अर्जन करने की इच्छा इनमें रहती है। हर बृहस्पति व्यक्ति को अच्छे स्वभाव का मालिक भी बनाता है। लग्न में बृहस्पति होने पर व्यक्ति आसानी से परिस्थिति के अनुसार ढलने की व खुश रहने की क्षमता विकसित करता है।

लोगों में पहचान बनाने व कम साधनों में भी विकास करने की क्षमता रखता है। नई चीजें सीखने की ललक रहती है। यदि अन्य योग दुरुस्त हो तो ये व्यक्ति ज्योतिष में रुचि रखते हैं। लग्न में बृहस्पति होने पर व्यक्ति प्राय: अध्यापन, काउंसिलिंग आदि क्षेत्रों को व्यवसाय रूप में अपनाता है।

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बृहस्पति के बारे में यह तथ्य है कि यह जिस भाव में बैठता है उसका नाश करता है, मगर जिन भावों को देखता है उनको लाभ देता है। लग्न का बृहस्पति कमजोर होने पर शरीर यष्टि कमजोर रहती है यानी छोटा कद, दुबला-पतला या अति स्थूल शरीर रहता है मगर इसकी पंचम व नवम-सप्तम पर दृष्टि बच्चों, जीवनसाथी व भाग्य के लिए लाभकारी होती है।

साधारणत: लग्न का बृहस्पति निरोगी, दीर्घायु बनाता है, जीवन में संघर्ष देता है मगर अंत में विजयी भी बनाता है।

स्वराशिस्थ गुरु के परिणाम अच्छे ही होते हैं। तुला व वृषभ का गुरु कष्ट देता है। अन्य राशियों में अग्नि तत्व की राशियों में यह व्यक्ति को धैर्यवान साहसी व ज्ञानी बनाता है। जलतत्व में होने पर व्यक्ति न्यायी, उदार, सहायता करने वाला विद्वान बनाता है। कर्क (उच्च) का गुरु जीवन में कष्ट देता है।

लग्न का गुरु प्राय: अति आदर्शवादी और अहंकारी भी बनाता है अत: गुरु की शरर में रहना, माता-पिता का आदर करना व अहंकार से बचना आवश्यक है।

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