Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

शनि की मध्य व उतरती साढ़ेसाती

संतान लाभ व कर्ज उतारेगी

हमें फॉलो करें शनि की मध्य व उतरती साढ़ेसाती
webdunia

पं. अशोक पँवार 'मयंक'

ND
कई नासमझ ज्योतिष ग्रहों की सत्ता को नहीं मानते हैं ना ही साढ़ेसाती का महत्व समझते हैं। जब शनि की साढ़ेसाती लगती है तब वो चाहे राजा हो या रंक किसी को भी नहीं छोड़ती। इससे न राजा नल, राजा हरीशचन्द्र और रावण भी नहीं बच पाएँ तो आम इन्सान की क्या बिसात?

शनि जब मंगल की राशि वृश्चिक में, मेष में नीचस्थ या इन्हीं ग्रहों से दृष्ट हो तब अवश्य अपना दुष्प्रभाव दिखाता ही है। कहा भी है की शनि की वक्र दृष्टि जिस पर पड़ जाए उसको बर्बाद कर देती है। शनि जिस भाव को जिस निगाह से देखता है उस प्रकार फल देता हैं। शनि मित्र भाव से देखेगा तो मित्रवत व्यवहार करेगा, शत्रुवत देखेगा वैसा ही प्रभाव देगा। जब शनि की उच्च या स्वदृष्टि पड़ेगी तो उत्तम फल देगा ही। शनि वृषभ लग्न में कर्म व भाग्य का मालिक होता है। अतः साढ़ेसाती में इन भावों से संबंधित फल में अच्छे या बुरे प्रभाव डालता है।

शनि इस लग्न में कन्या राशि पर साढ़ेसाती का प्रथम ढैया शनि के सिंह राशि पर आने से लगेगा। शनि सूर्य का शत्रु है जबकि सूर्य पुत्र शास्त्रों में शनि को माना गया है फिर भी यह चतुर्थ भाव पर शत्रु दृष्टि डालने से माता को कष्ट या मृत्यु तुल्य कष्ट देगा, पारिवारिक सुख में भी खलल डालेगा, राजनीती में भी बाधा का कारण बनेगा। मकान संबंधित परेशानियाँ देगा। संपत्ति के मामलों में भी बाधक बनेगा। यदि इस प्रकार परेशानी हो तो वे रात को दूध ना पिएँ। मछली को दाना डालें। शनि की उच्च दृष्टि षष्ट भाव पर पड़ने से शत्रु पक्ष प्रभावहीन होंगे। शनि की सप्तम दृष्टि कर्म भाव पर पड़ने से कर्म क्षेत्र में वृद्धि, व्यापार में उन्नति होगी। पिता से लाभ, राजकाज में सफलता, शनि का दशम मित्र दृष्टि लग्न पर पड़ने से प्रभाव में वृद्धि, भाग्योन्नति होती है।

webdunia
ND
शनि की मध्य साढ़ेसाती शनि के कन्या पर आने से शुरू होगी। यह भाग्येश व कर्मेश पंचम त्रिकोण में होने से सन्तान लाभ, विद्या में प्रगति, मनोरंजन के क्षेत्र में सफलता मिलती है। लेकिन तृतीय शत्रु दृष्टि सप्तम भाव पर पड़ने से पत्नी या पति को कष्ट। दैनिक व्यवसाय में बाधा, विवाह में देरी होती है। यदि अशुभ परिणम मिलते हो तो ये उपाय करें- 48 वर्ष की आयु से पहले मकान न बनाएँ। मन्दिर में बादाम चढाएँ व उनमें से आधे वापस लाकर घर में रखें। पुत्र के जन्मदिन पर मिठाई न बाटें। कुत्ता पालें। काले सुरमे को बहते जल में प्रवाहित करें। इस प्रकार से अशुभ प्रभाव कम होंगे।

शनि की सप्तम गोचर दृष्टि एकादश भाव पर, सम दृष्टि पड़ने से लाभ के क्षेत्र में मिली जुली स्थिति रहेगी। शनि की दशम मित्र दृष्टि द्वितीय भाव पर पड़ने से धन की बचत, कुटुंब का सहयोग, वाणी से लाभ रहता है।

शनि की अंतिम उतरती साढ़ेसाती शनि के षष्ट भाव पर आने से होगी। इस समय शत्रु नाश, कोर्ट कचहरी में विजय, मामा से सहयोग, कर्ज हो तो उतरता है। बस देने की नियत होना चाहिए। शनि की यहाँ से तृतीय दृष्टि आयु भाव अष्टम पर सम पड़ने से आयु में वृद्धि, गुप्त धन, यश लाभ रहता है। शनि की सप्तम द्वादश भाव पर नीच दृष्टि पड़ने से बाहरी संबंध खराब होते है व यात्रा में कष्ट रहता है।

यदि ऐसी स्थिति हो तो ये उपाय करें- सरसों का तेल मिट्टी के बर्तन या काँच की शीशी में बन्द करके तालाब के पानी के अन्दर दबाएँ। रात के समय किया गया यह उपाय लाभदायक होगा। शनि की दशम गोचर दृष्टि तृतीय भाव पर सम पड़ने से भाई से मिलाजुला सहयोग रहता है। शत्रु नाश होकर पराक्रम में वृद्धि होती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi