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9 ग्रहों के दोष कैसे दूर करें, पढ़ें उपाय

ग्रह-दोष निवारण के असरदार उपाय (नवग्रहों के लिए)

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- आचार्य डॉ. संजय

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प्राचीन ज्योतिष विद्या के एक महत्वपूर्ण ग्रंथ लाल किताब के अनुसार किसी जातक की कुंडली व गोचर में किसी भी ग्रह की अनिष्टता के कारण उत्पन्न समस्या व उसके निवारण हेतु कई उपायों का उल्लेख है। ध्यान रहे कि प्रत्येक उपाय को कम से कम 7 दिन व अधिक से अधिक 43 दिनों तक लगातार करें।

यदि प्रक्रिया का क्रम बीच में खंडित हो जाए तो पुनः विधिवत् इन प्रयोगों को फिर से पूर्ण करना चाहिए।

सभी नौ ग्रहों की शांति के हेतु सूखे नारियल के अंदर घी व खांड भरकर सुनसान जगह में स्थित चीटियों के बिल के अंदर गाड़ने से तत्काल ग्रह शांति होती है। इसके अतिरिक्त सभी नौ ग्रहों के दोषों के विधिवत् उपायों से भी ग्रह शांत होते हैं।


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सूर्य के अनिष्ट में होने पर करें यह उपाय : यदि कुंडली में सूर्य छठे, सातवें व दसवें भाव में स्थित हो अथवा गोचर में निर्बल व अशुभ अवस्था में हो तो यह कार्यक्षेत्र में समस्या, दुर्घटना में हड्डी टूटने, रक्तचाप की समस्या, नेत्र में कष्ट, उदर व अग्नि-तत्व से संबंधित रोग व शारिरिक पीड़ा का कारक माना गया है।

क्या उपाय करें : राजा, पिता व सरकारी पदाधिकारी का सम्मान करें। उदित सूर्य के समय में संभोग न करें। सूर्य से संबंधित कोई वस्तु मुफ्त में न लें। पीतल के बर्तनों का सर्वदा प्रयोग करें। रविवार के दिन दरिया की बहती जलधारा में गुड़ व तांबा प्रवाहित करें।


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चंद्र के अनिष्ट में होने पर करें यह उपाय : किसी जातक की कुंडली के गोचर में चंद्र निर्बल व पाप ग्रस्त हो तथा कुंडली में छठे, आठवें, दसवें व बारहवें भाव में स्थित हो तो इस कारण मानसिक पीड़ा, जल तत्व से जुड़ा रोग व पद व गुण हानि की समस्याएं आती हैं।

क्या उपाय करें : रात को दूध का सेवन न करें। जल व दूध को ग्रहण करते समय चांदी के पात्र का प्रयोग करें। सोमवार के दिन दरिया की बहती जलधारा में मिश्री व चावल को सफेद कपड़े में बांधकर प्रवाहित करें। सोमवार के दिन अपने दाहिने हाथ से चावल व चांदी का दान करें।


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मंगल के अनिष्ट में होने पर करें यह उपाय : किसी जातक के गोचर में मंगल निर्बल व पाप ग्रस्त हो तथा कुंडली में चौथे व आठवें भाव में अकेला विराजमान हो तो इस अकारक अवस्था के कारण रक्त विकार, क्रोध, तीव्र सिर दर्द, नेत्र रोग व संतान हानि जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।

क्या उपाय करें : बुआ अथवा बहन को लाल कपड़ा दान में दें। मंगलवार को दरिया की बहती जलधारा में रेवड़ी व बताशा प्रवाहित करें। मूंगा, खांड, मसूर व सौंफ का दान करें। नीम का पेड़ लगाएं। मीठी तंदूरी रोटी कुत्ते को खिलाएं। रोटी पकाने से पहले गर्म तवे पर पानी की छींटे दें।


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बुध के अनिष्ट में होने पर करें यह उपाय : किसी जातक के गोचर में बुध नीच, अस्त व पाप ग्रस्त हो तथा कुंडली में चौथे भाव में स्थित हो तो आत्मविश्वास में कमी, नशे, सट्टे व जुए की लत, बेटी व बहन को कष्ट, मानसिक तथा गले से संबंधित रोगों का सामना करना पड़ सकता है।

क्या उपाय करें : बुधवार के दिन भीगी मूंग का दान करें। मिट्टी के घड़े या पात्र में शहद रखकर किसी वीराने स्थान पर दबाएं। कच्चा घड़ा दरिया में प्रवाहित करें। तांबे का सिक्का गले में धारण करें। सुहागिन स्त्रियों को भोजन कराएं व चूड़ी दान में दें। चौड़े हरे पत्ते वाले पौधे अपने घर की छत के ऊपर लगाएं।



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गुरु के अनिष्ट में होने पर करें यह उपाय : किसी जातक के गोचर में गुरु नीच, वक्री व निर्बल हो तथा कुंडली में छठे, सातवें व दसवें भाव में स्थित हो तो मान-सम्मान में कमी, अधूरी दक्षिणा, गंजापन, झूठे आरोप, पीलिया आदि जैसे रोग व समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।

क्या उपाय करें : माथे पर नित्य हल्दी अथवा केसर का तिलक करें। पीपल का वृक्ष लगाएं तथा केसर का तिलक करें। दरिया में गंधक प्रवाहित करें। ब्राह्मण को पीले रंग की वस्तु दान में दें।


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शुक्र के अनिष्ट में होने पर करें यह उपाय : किसी जातक के गोचर में शुक्र अशुभ हो तथा कुंडली में पहले, छठे व नौवें भाव में स्थित हो तो चर्म रोग, स्वप्न दोष, धोखा, हाथ की अंगूठी आदि निष्क्रिय होने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।

क्या उपाय करें : 43 दिनों तक किसी गंदे नाले में नीले फूल डालें। स्त्री का सम्मान करें। इत्र लगाएं। दही का दान करें। साफ सुथरे रहें तथा अपने बिस्तर की चादर को सिलवट रहित रखें।



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शनि के अनिष्ट में होने पर करें यह उपाय : गोचर में शनि के अशुभ तथा कुंडली में पहले, चौथे, पांचवें व छठे भाव में स्थित होने की अवस्था को आर्थिक हानि, कानूनी समस्या, गठिया रोग, पलकों के झड़ने, कन्या के विवाह में विलंब, आग लगने, मकान गिरने, नौकर के काम छोड़ने आदि घटनाओं का कारक माना गया है।

क्या उपाय करें : लोहे का छल्ला अथवा कड़ा धारण करें। मछलियों को आटे की गोलियां खाने को दें। अपने भोजन का पहला कौर कौए को दें। सुनसान जगह के सतह पर सुरमा दबाएं।

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राहु के अनिष्ट में होने पर करें यह उपाय : किसजातक की कुंडली में राहु अशुभ व शत्रु ग्रह से युक्त हो तथा पहले, पांचवें, आठवें, नौवें व बारहवें भाव में स्थित हो तो शत्रुता, दुर्घटना, मानसिक पीड़ा, क्षय रोग, कारोबार में हानि, झूठे आरोप आदि की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।

क्या उपाय करें : मूली दान में दें। जौ को दूध में धोकर दरिया में प्रवाहित करें। कच्चे कोयले को दरिया में प्रवाहित करें। हाथी के पांव के नीचे की मिट्टी कुएं में डालें।



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केतु के अनिष्ट में होने पर करें यह उपाय: किसी जातक की कुंडली व गोचर में अशुभ केतु फोड़े-फुंसी, मूत्राशय से संबंधित रोग, रीढ़ व जोड़ों का दर्द, संतान हानि आदि जैसी समस्या का कारक माना गया है।

क्या उपाय करें : कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं। मकान के नीव की सतह पर शहद दबाएं। कंबल दान में दें। सफेद रेशम के धागे को कंगन की तरह हाथ में बांधे


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