Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

लाल किताब की नजर से केतु ग्रह

हमें फॉलो करें लाल किताब की नजर से केतु ग्रह

अनिरुद्ध जोशी

देवता: गणेश
गुण: सुनना
पेशा: कुली, मजदूर
रंग: कपोत, धूम्र वर्ण
पक्का घर: 6
श्रेष्ठ घर: 3,6,9,10,12,
मन्दे घर: 6,7,11
उच्च: 5,9,12
नीच: 6,8
मसनूई उच्च: शुक्र-शनि
मसनूई नीच: चन्द्र-शनि
जाति: शुद्र
दिशा: वायव्य कोण
गोत्र: जैमिनी
राशि: मित्र- शु.रा., शत्रु- म.च., बृ.बु.श.
भ्रमण काल: एक राशि में डेढ़ वर्ष
नक्षत्र: ....
शक्ति: चलना, मिलना
वस्तु: द्विरंगा पत्थर
सिफत: धर्मज्ञानी
शरीर का भाग: कान, रीढ़, घुटने, लिंग, जोड़, पूरा धड़
पोशाक: दुपट्टा, कंबल, ओढ़नी
पशु: कुत्ता, गधा, सूअर, छिपकली
वृक्ष: इमली का दरख्त, तिल के पौधे, केला
 
 
मकान: कोने का मकान होगा। तीन तरफ मकान एक तरफ खुला या तीन तरफ खुला हुआ और एक तरफ कोई साथी मकान या खुद उस मकान में तीन तरफें खुली होंगी। केतु के मकान में नर संतानें लड़के चाहे पोते हों लेकिन कुल तीन ही होंगे। बच्चों से संबंधित, खिड़कियाँ, दरवाजे, बुरी हवा, अचानक धोखा होने का खतरा। 
 
 
परिचय:- यह चन्द्रमा के पथ का द्योतक है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार इसे नवग्रह में से एक छायाग्रह माना जाता है। व्यक्ति के जीवन-क्षेत्र को यह प्रभावित करता है। केतु का मंडल ध्वजाकार माना गया है। यही कारण है कि यह आकाश में लहराती ध्वजा के समान दिखाई देता है। खगोल वैज्ञानिक इसके अस्तित्व को नहीं मानते हैं।
 
 
पुराणों के अनुसार:- अमृत वितरण के दौरान राहु देवताओं का वेष बनाकर उनके बीच में आ बैठा और देवताओं के साथ उसने भी अमृत पी लिया। परंतु तत्क्षण ही उसकी असलियत पता चल गई। अमृत पिलाते-पिलाते ही भगवान विष्णु ने अपने तीक्ष्ण चक्र से उसका सिर काट डाला। भगवान विष्णु के चक्र से कटने पर सिर राहु कहलाया और धड़ केतु के नाम से प्रसिद्ध हुआ। केतु राहु का ही कबन्ध है। राहु के साथ केतु भी ग्रह बन गया। मत्स्यपुराण के अनुसार केतु बहुत से हैं, उनमें धूमकेतु प्रधान है।
 
 
मन्दे केतु की पहचान: पेशाब की बीमारी, जोड़ों का दर्द, सन्तान उत्पति में रुकावट और गृहकलह।
तेज: मकान, दुकान या वाहन पर ध्वज के समान है। केतु का शुभ होना अर्थात पद, प्रतिष्ठा और संतानों का सुख।
मंदा: मंगल के साथ केतु का होना बहुत ही खराब माना गया है। इसे शेर और कुत्ते की लड़ाई समझें। चंद्र के साथ होने से चंद्र ग्रहण माना जाता है। मंदा केतु पैर, कान, रीढ़, घुटने, लिंग, किडनी और जोड़ के रोग पैदा कर सकता है।
 
उपाय: संतानें केतु हैं। इसलिए संतानों से संबंध अच्छे रखें। भगवान, गणेश की आराधना करें। दोरंगी कुत्ते को रोटी खिलाएँ। कान छिदवाएँ। कुत्ता पालना।
 
सावधानी: कुंडली के खानों अनुसार ही उपायों को लाल किताब के जानकार से पूछकर करना चाहिए।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

राहु की राह को जानें