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गुरु अस्त, शुक्र हुए व्यस्त

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सौरमंडल का सबसे बड़ा बृहस्पति (गुरु) ग्रह विगत दिनों पश्चिमी आकाश में अपनी छटा बिखेरता हुआ 17 फरवरी की संध्या को अस्त हो गया है। आगामी 30 दिनों तक अब वह आकाश में दिखाई नहीं देगा।

20 मार्च से गुरु पुनः प्रातः काल में पूर्व दिशा में दृष्टिगोचर होने लगेगा। गुरु के अस्त होते ही सर्वाधिक चमकदार शुक्र ग्रह ने सांध्य के पश्चिमी आकाश में अपना स्थान बनाना शुरू कर दिया है। अब शनैः-शनैः पश्चिमी आकाश में शुक्र ग्रह अपनी छटा बिखेरने लगेगा। शुक्र या तो भोर का या संध्या का तारा कहलाता है, इन दिनों यह सांध्य का तारा बनेगा, क्योंकि शुक्र कभी भी मध्य आकाश में नहीं पहुँचता है।

खगोल विज्ञानी संजय केथवास ने बताया कि विगत 6 फरवरी से शुक्र ग्रह का पश्चिमी क्षितिज से उदय प्रारंभ हो गया है, जो आगामी 20 अक्टूबर तक अपनी छटा बिखेरता रहेगा।

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सूर्य से दूसरे क्रम के शुक्र ग्रह की कक्षा पृथ्वी की कक्षा की तुलना में व्यास में 6 करोड़ 40 लाख किमी छोटी है। अतः जब शुक्र पश्चिम में उदय होता है तो वह प्रतिदिन पूर्व दिशा की ओर उल्टा भ्रमण करता है। इसके उदय काल में हर दिन 4 मिनट बढ़ते जाते हैं।

पूर्व दिशा की ओर चलते हुए यह अधिकतम 48 डिग्री के कोण तक पहुँचता है, इसके बाद पुनः धीरे-धीरे पश्चिम दिशा की ओर चलना प्रारंभ कर देगा और 20 अक्टूबर से 2 नवंबर तक अस्त रहेगा। चंद्रमा की तरह शुक्र की भी कलाएँ होती हैं। ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को सौंदर्य अथवा महिला प्रधान ग्रह माना गया है। वैवाहिक कार्य के लिए गुरु और शुक्र की आकाश में उपस्थिति आवश्यक मानी गई है।

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