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बलवान शनि से मिलें नौकरों का सुख

शनि को मनाएँ अगर चाहिए नौकर-चाकर

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भारती पंडित

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व्यक्ति को जीवन में कितनी सुख-सुविधाएँ मिलेंगी यह भी कुंडली के अवलोकन से पता चलता है। नौकर चाकर, अधीनस्थ लोगों से कितना सुख मिलेगा, यह जानने के लिए शनि की स्थिति देखना जरूरी है। शनि स्थिरता का ग्रह है, अधीनता का ग्रह भी है।

यदि मूल कुंडली में शनि उच्च का है, स्वगृही है, मित्र गृही है या लग्न के अनुसार शुभ स्थानों का स्वामी होकर शुभ स्थानों में हो तो व्यक्ति को सदैव दास-नौकरों का सुख मिलता रहेगा। यह सूत्र घर की कामवाली बाई से लेकर दफ्तर के कर्मचारियों तक के लिए लागू होता है। ऐसे व्यक्ति/महिला को अच्छे, ईमानदार नौकर-चाकर उपलब्ध रहेंगे। समय आने पर साथ देंगे।

इसके विपरीत यदि कुंडली में शनि शत्रु स्थानों में हो या लग्न के अनुसार अशुभ स्थानों का स्वामी होकर शुभ स्थानों में बैठा हो तो ऐसा व्यक्ति हमेशा नौकरों-चाकरों के लिए तरस‍ता है। विशेषत: जब शनि नीच का हो और लग्न, सप्तम या चतुर्थ में रहे तो व्यक्ति को जीवन भर स्वयं श्रम करना पड़ता है। उसे नौकरों का सुख नहीं मिलता। यदि मिलता है तो वे व्यक्ति धूर्त होते हैं और अपना स्वार्थ सिद्ध कर, चमका देकर चलते बनते हैं। नीच का शनि व्यक्ति को दास-दासियों का सुख तो देता ही नहीं, अधिकारिक पद तक भी नहीं पहुँचने देता और अधीनस्थों का सुख नहीं देता।

कुंडली देखते समय नवमांश का भी विचार जरूरी है। यदि मूल कुंडली में शनि ठीक हो मगर नवमांश में नीच का हो तो वह अशुभ फल ही देता है।

शनि के अतिरिक्त शुक्र को भी देखें। यदि वह भी अशुभ है, नीच का है ‍तो व्यक्ति जीवन भर सुख-सुविधाओं के लिए तरसता रहता है।

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उपाय :-
* शनि की शांति कराएँ।

* शनि चालीसा का पाठ करें।

* पीपल के नीचे मंगलवार-शनिवार दीपक जलाएँ।

* काले कुत्ते को काला जाम या इमरती खिलाएँ।

* माता-पिता-गुरु की सेवा करें।

* शुक्रवार को लक्ष्मी मंदिर में लाल पुष्प चढ़ाएँ।

* स्त्री का आदर करें। कन्या को भोजन कराएँ।

* साबूदाने की खीर का सेवन करें।

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