-
प्रवीण गजकेश्वर
शास्त्रों में वर्णित अनेक विधियाँ हैं, जिनमें प्रमुख रूप से शनि की शांति हेतु रुद्राभिषेक व हनुमानजी की सेवा, हवन आदि शामिल हैं। पाठकों के लाभार्थ कुछ अनुभूत उपाय निम्नानुसार हैं-भगवान शंकर पर काले तिल व कच्चा दूध नित्य प्रतिदिन चढ़ाना चाहिए। यदि शिवलिंग पीपल वृक्ष के नीचे हो तो अतिउत्तम। जातक अपने घर में संध्या के समय गुगल की धूप दें।गोरज मुहूर्त में चींटियों को तिल चौली डालना।साँप को दूध पिलाना।काले उड़द भिखारियों को दान करें। |
शास्त्रों में वर्णित अनेक विधियाँ हैं, जिनमें प्रमुख रूप से शनि की शांति हेतु रुद्राभिषेक व हनुमानजी की सेवा, हवन आदि शामिल हैं। पाठकों के लाभार्थ कुछ अनुभूत उपाय निम्नानुसार हैं। |
|
|
काले उड़द जल में प्रवाहित करें।
माँ भगवती काली की आराधना करने से अत्यंत शुभ फल प्राप्त होते हैं।
भैरव साधना, मंत्र-जप आदि करें।
सुंदरकांड का पाठ सर्वश्रेष्ठ फल प्रदान करता है।
ऐसे कई उपाय हैं, जिनके द्वारा शनि की शांति होती है। अतः जातक व पाठकगण श्रद्धा के साथ कोई भी एक उपाय करता रहे, जिससे कि वह स्वयं अनुभव लेकर दूसरे किसी अन्य पीड़ित व्यक्ति के कष्ट दूर कर सकता है।
अतः आप बिना किसी संकोच के अपने मन से यह धारणा निकाल दें कि सारे दुःखों का कारण शनि ग्रह ही हैं। शनि ग्रह किसी कार्य को देर से करवाते हैं, परन्तु कार्य अत्यंत सफल होता है।