Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

उच्च पद के लिए पूजें उच्छिष्ट गणेश

हर कामना पूर्ति के लिए विशेष गणेश आराधना

Advertiesment
हमें फॉलो करें गणेश चतुर्थी

पं. उमेश दीक्षित

दक्षिणाचार साधना में शुचिता का ध्यान रखना परम आवश्यक होता है, लेकिन श्रीगणेश के उच्छिष्ट गणपति स्वरूप की साधना में शुचि-अशुचि का बंधन नहीं है। यह शीघ्र फल प्रदान करते हैं।

FILE


प्राचीन ग्रंथों में इस बात का उल्लेख आता है कि पुराने समय में ग‍णपति के इस स्वरूप या उच्छिष्ट चाण्डालिनी की साधना करने वाले अल्प भोजन से हजारों लोगों का भंडारा कर देते थे। कृत्या प्रयोग में इससे रक्षा होती है। गणेशजी के इस स्वरूप की पूजा, अर्चना और साधना से उच्च पद और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

कैसे होती है उच्छिष्ट गण‍पति की साधना... पढ़ें अगले पेज पर...



उच्छिष्ट गणपति की साधना में साधक का मुंह जूंठा होना चाहिए। जैसे पान, इलायची, सुपारी आदि कोई चीज साधना के समय मुंह में होनी चाहिए। अलग-अलग कामना के लिए अलग-अलग वस्तु का प्रयोग करना चाहिए।

FILE


* वशीकरण के लिए लौंग और इलायची का प्रयोग करना चाहिए।

* किसी भी फल की कामना के लिए सुपारी का प्रयोग करना चाहिए।

* अन्न या धन वृद्धि के लिए गुड़ का प्रयोग करना चाहिए।

* सर्वसिद्धि के लिए ताम्बुल का प्रयोग करना चाहिए।

अगले पेज पर पढ़ें... मंत्र और विनियोग...


FILE

।। हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा ।।


विनियोग

ॐ अस्य श्री उच्छिष्ट गणपति मंत्रस्य कंकोल ऋषि:,
विराट छन्द:, श्री उच्छि गणपति देवता,
मम अभीष्ट (जो भी कामना हो) या सर्वाभीष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोग:।

न्यास

ॐ अस्य श्री उच्छिष्ट गणपति मंत्रस्य कंकोल ऋषि: नम: शिरीसे।
विराट छन्दसे नम: मुखे।
उच्छिष्ट गणपति देवता नम: हृदये।
सर्वाभीष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोगाय नम: सर्वांगे।

ऐसा कहकर निर्दिष्ट अंगों पर हाथ लगाएं...

ॐ हस्ति अंगुष्ठाभ्यां नम: हृदयाय नम:
ॐ पिशाचि तर्जनीभ्यां नम: शिरसे स्वाहा
ॐ लिखे मध्यमाभ्यां नम: शिखाये वषट्‍
ॐ स्वाहा अनामिकाभ्यां नम: कवचाय हुँ
ॐ हस्ति पिशाचि लिखे कनिष्ठकाभ्यां नम: नैत्रत्रयाय वोषट्‍
ॐ हस्ति पिशाचि लिख स्वाहा करतल कर पृष्ठाभ्यां नम: अस्त्राय फट्‍

ध्यान

।। रक्त वर्ण त्रिनैत्र, चतुर्भुज, पाश, अंकुश, मोदक पात्र तथा हस्तिदंत धारण किए हुए। उन्मत्त गणेशजी का मैं ध्यान करता हूं।

अलग गणपति तो फल भी अलग... पढ़ें अगले पेज पर....





FILE


गणेशजी को घी से तथा दुग्ध धारा द्वारा व जलधारा द्वारा शुद्ध करके पोंछ कर रखें तथा पूजन करें। गणेश प्रतिमा श्वेतार्क की (हस्ति चित्र पर बैठकर) बनाएं। इसे रवि पुष्य या गुरु पुष्य में बनाने का विशेष महत्व है।

* श्वेतार्क मूर्ति को गल्ले या तिजोरी में रखने से धन बढ़ता है।

* शत्रु नाश के लिए नीम की लकड़ी से बने गणेशजी की आराधना करें।

* गुड़ की प्रतिमा से धन की वृद्धि होती है।

FILE


कृष्ण चतुर्दशी से लेकर शुक्ल चतुर्दशी तक आठ हजार जप नित्य कर दशांस हवन करें। भोजन से पूर्व गणपति के निमित्त ग्रास निकालें। ऐसी मान्यता है कि उच्छिष्ट गणपति की आराधना से कुबेर को नौ निधियां प्राप्त हुई थीं और विभिषण लंकापति बने थे।

अंत में बलि प्रदान करें।

बलि मंत्र

ॐ गं हं क्लौं ग्लौं उच्छिष्ट गणेशाय महायक्षायायं बलि:।

विशेष : इस तरह की साधना किसी योग्य गुरु या आचार्य के मार्गदर्शन में करें। क्योंकि अकेले में इस तरह के प्रयोग से व्यक्ति को नुकसान भी हो सकता है।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi