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कामना सिद्धि के लिए जपें मां दुर्गा का यह मंत्र

नवरात्रि के पहले दिन कैसे करें मां की आराधना

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हमें फॉलो करें नवरात्रि के मंत्र

पं. उमेश दीक्षित

हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी नवरात्रि का आगमन सोमवार, 31 मार्च 2014 को हो रहा है तथा समापन नवमी, 8 अप्रैल 2014 को होगा। हम अपने त्रिविध दोषों की निवृत्ति, ग्रह बाधा दूर करने, अपनी कोई इच्छा पूर्ण करने के लिए तथा देवी कृपा प्राप्त करने के लिए इस पवित्र तथा दिव्य समय का उपयोग कर सकते हैं।

कोई भी व्यक्ति जो कोई समस्या से ग्रस्त हो, अपनी आवश्यकतानुसार कई प्रयोग कर सकता है। नियम पालन अनिवार्य है। ब्रह्मचर्य, शुद्धता, खान-पान में फलाहार इत्यादि, पूजन-जप का समय, स्थान, दिशा, वस्त्र, आसन, माला इत्यादि।

मंत्र की शक्ति अपरिमित होती है। 'जपात् सिद्धि जपात सिद्धि' शास्त्र का वचन बिलकुल सही है। आवश्यकता है श्रद्धा-विश्वास की। इनमें से कुछ एक या सभी प्रयोग कोई भी कर सकता है। माता बहुत दयावान, ममतामयी तथा सर्वशक्तिमान है, ऐसा जानकर व मानकर ही साधना करना चाहिए।


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जगदंबा दुर्गाजी का चित्र पाट या चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें तथा एक स्वच्छ कलश जल से भरकर उस पर नार‍ियल रखकर घृत का दीपक जलाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखकर लाल आसन, कुशासन रखकर बैठें।

साधारण तरीके से माता का आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, चंदन, कुंमकुंम, हल्दी, सिंदूर इत्यादि समर्पण कर धूप, दीप, नेवैद्य, ताम्बूल, आरती, पुष्पांजलि, प्रदक्षिणा कर क्षमा-प्रार्थना कर जप करें।

स्मरणीय है, संकल्प प्रारंभ में लें पूजन, मंत्र का अपनी साधारण भाषा में। तब अपनी पसंद के एक या ज्यादा जितने भी हों, जप करें। संख्या नित्य एक-सी हो। 11-21-51-108 जितनी भी माला हो, नित्य उतनी ही करें।

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नवार्ण मंत्र सबसे प्रशस्त मंत्र माना गया है। सभी कामनाएं इसी से पूर्ण हो जाती हैं तथा देवी की कृपा तथा आशीर्वाद इसी से मिलता है।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।।

'ऐं' श्री महासरस्वती का बीज मंत्र है। वाणी, ऐश्वर्य, बुद्धि तथा ज्ञान देने वाला है।

'ह्रीं' श्री महालक्ष्मी का बीज मंत्र है। ऐश्वर्य, धन देने वाला है।

'क्लीं' शत्रुनाशक महाकाली का बीज मंत्र है।

जो भी मुख्य आवश्यकता हो, वह बीज मंत्र के आदि में लगाकर जप करें, जैसे-

ॐ ह्रीं ऐं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।।

ॐ क्लीं ऐं ह्रीं चामुण्डायै विच्चे।।

गायत्री मंत्र के आदि तथा अंत में निर्दिष्ट बीज मंत्रों का उपयोग 3 बार कर लाभ लिया जा सकता है। 'श्रीं' धन के लिए, जैसे 'श्रीं श्रीं श्रीं ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् श्रीं श्रीं श्रीं।'

पड़वा माता शैलपुत्री का दिन है। उनका मंत्र 'ॐ शैलपुत्र्ये नम:' का यथाशक्ति जप कर लाभ लिया जा सकता है, विशेषकर स्त्रियां अपने सौभाग्य वृद्धि के लिए प्रयोग करें


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