तंत्र-मंत्र के फेर में उलझे लोग
आधुनिकता की आँधी में उड़ रहे समाज में जहाँ एक ओर वैज्ञानिक सोच के जरिए तमाम अंधविश्वासों को तहस-नहस करके उनके मानने वालों को बेवकूफ साबित किया जा रहा है, वहीं अभी भी अनेक ऐसे लोग हैं जो अंधविश्वास में अंधे होकर आए दिन आपराधिक षडयंत्रों का आसान शिकार बन रहे हैं। ये तंत्र-मंत्र की आड़ में अपने आपराधिक षडयंत्र को फलीभूत करने में जुटे तांत्रिकों के जाल में फँसने वाली मछली बन चुके हैं। होश तब आता है जब ये अपना सब कुछ गवाँ बैठते हैं। आए दिन हो रही इस तरह की सनसनीखेज वारदातों के बावजूद कई लोग बेवकूफ बनने के लिए तैयार रहकर लगातार इनके चुंगल में फँस रहे हैं।
तांत्रिक बाबाओं के पास कोई अपनी असाध्य बीमारी की दवा लेने आता है तो कोई घरेलू दिक्कतों का इलाज कराने, कोई बच्चा न पैदा होने के कारण का निवारण करवाने पहुँच जाता है। कोई दफ्तर में चल रही अपने खिलाफ मुहिम को अस्त-व्यस्त करने, तो किसी को शक होता है कि पड़ोसी ने कुछ करवा-धरवा दिया है। इसी के चलते आए दिन एक नई समस्या मुँह बाएँ खड़ी रहती है। यानी किस्म-किस्म की समस्या और उसी प्रकार तरह-तरह के दकियानूसी समाधान।