नवदुर्गा : ऐश्वर्य प्राप्ति और बाधा मुक्ति के प्रबल मंत्र
नवरात्रि में शक्ति-पूजन का महत्व
विश्व की सभी सभ्य या असभ्य जातियों में आदिकाल से शक्तिपूजन होता आ रहा है। स्थान व काल भेद से इनका प्रकार भिन्न-भिन्न रहा है। इनमें तंत्र साधना से शक्तिपूजन का प्रयोग होता आ रहा है। सभी तरह की साधना पद्धतियां तंत्र में समाहित हो जाती हैं।
शिव भी शक्ति के बिना शव रूप हैं, यह सर्वमान्य है। शक्ति का अंतिम रूप ब्रह्म है। देवी अथर्वशीर्ष में देवी ने स्वयं कहा है- 'अहं ब्रह्मस्वरूपिणी'। यह इस बात को सिद्ध करता है।
वेदों में दो बातों पर जोर दिया गया है। पहला है- आगम तथा दूसरा है निगम। आगम यानी सकाम साधना तथा निगम यानी मोक्ष के लिए।