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बेहद सरल है धनलक्ष्मी को प्रसन्न करना

वैभव के लिए कैसे करें लक्ष्मी आराधना

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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

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सर्वमतानुसार महालक्ष्मी पूजन से घर-परिवार में वैभव की प्रतिष्ठा की जा सकती है। प्रातःकाल स्नान, तुलसी सेवन, उद्यापन और दीपदान का उत्तम अवसर कहा गया है -

'हरिजागरणं प्रातः स्नानं तुलसीसेवनम्। उद्यापनं दीपदानं व्रतान्येतानि कार्तिके॥'

इन उपायों से सत्यभामा ने अक्षय सुख, सौभाग्य और संपदा के साथ सर्वेश्वर को सुलभ किया था। यदि इस अवधि में लक्ष्मी मंत्र की माला की जाए तो वैभव प्राप्त होता है। वास्तु ग्रंथों में लक्ष्मी, यश-कीर्ति की प्राप्ति और अलक्ष्मी के नाश के उपाय के रूप में कई उपाय मिलते हैं। लक्ष्मी, गायत्री मंत्र का निरंतर जाप भी इष्टप्रद है।

'महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।'

गृहस्थ को हमेशा कमलासन पर विराजित लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। देवीभागवत में कहा गया है कि कमलासना लक्ष्मी की आराधना से इंद्र ने देवाधिराज होने का गौरव प्राप्त किया था। इंद्र ने लक्ष्मी की आराधना 'कमलवासिन्यै नमः' मंत्र से की थी। यह मंत्र आज भी अचूक है।

दीपावली को अपने घर के ईशान कोण में कमलासन पर मिट्टी या चांदी की लक्ष्मी की प्रतिमा को विराजित कर, श्रीयंत्र के साथ यदि उक्त मंत्र से पूजन किया जाए और निरंतर जाप किया जाए तो चंचला लक्ष्मी स्थिर होती है। बचत आरंभ होती है और पदोन्नति मिलती है। साधक को अपने सिर पर बिल्व पत्र रखकर पंद्रह श्लोकों वाले श्रीसूक्त का जाप भी करना चाहिए।

दीपावली की रात देवी लक्ष्मी के साथ एकदंत मंगलमूर्ति गणपति की पूजा की जाती है। पूजास्थल पर गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर के पीछे शुभ और लाभ लिखा जाता है व इनके बीच में स्वस्तिक का चिन्ह बनाया जाता है। लक्ष्मी जी की पूजा से पहले भगवान गणेश की फूल, अक्षत, कुंकू, रोली, दूब, पान, सुपारी और मोदक मिष्ठान से पूजा की जाती है फिर देवी लक्ष्मी की पूजा भी इस प्रकार की जाती है।
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देवी लक्ष्मी इस रात अपनी बहन दरिद्रा के साथ भू-लोक की सैर पर आती हैं। जिस घर में साफ-सफाई और स्वच्छता रहती है, वहाँ माँ लक्ष्मी अपने कदम रखती हैं और जिस घर में ऐसा नहीं होता वहां दरिद्रा अपना डेरा जमा लेती है।

यहां एक और बात ध्यान देने योग्य है कि देवी सीता जो लक्ष्मी की अवतार मानी जाती हैं वह भी भगवान श्रीराम के साथ इस दिन वनवास से लौट कर आईं थी। इसलिए भी इस दिन घर की साफ-सफाई करके देवी लक्ष्मी का स्वागत व पूजन किया जाता है।

घर में मां, दादी जो कोई बड़ी होती हैं वे रात्रि के अंतिम प्रहर में देवी लक्ष्मी का आह्वान करती हैं और दरिद्रा को बाहर करती हैं। इसके लिए कहीं-कहीं सूप को सरकंडे से पीटा जाता है तो कहीं पुराने छाज में कूड़े आदि भर कर घर से बाहर कहीं फेंका जाता है।

इस क्रम में महिलाएं यह बोलती हैं- 'अन्न, धन, लक्ष्मी घर में पधारो, दरिद्रा घर से भागो भागो।'

व्यावसायियों के लिए नए वर्ष का आगमन होता है वे इस दिन पूरे बहीखाते का हिसाब करते हैं और नया बहीखाता लिखते हैं, तंत्र साधना करने वालो के लिए यह रात सिद्धि देने वाली होती है, इस रात भूत, प्रेत, बेताल, पिशाच, डाकनी, शाकनी आदि उन्मुक्त रूप से विचरण करते हैं ऐसे में जो साधक सिद्धि चाहते हैं उन्हें आसानी से फल की प्राप्ति होती है।

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