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शत्रुओं का नाश करेंगे माता कात्यायनी के मंत्र

भगवती काली के खास मंत्र

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हमें फॉलो करें नवरात्रि के मंत्र

पं. उमेश दीक्षित

चैत्र नवरात्रि 2014 : षष्ठी तिथि

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षष्ठी तिथि की अधिष्ठात्री देवी माता कात्यायनी हैं। शत्रु नाश तथा मोक्ष-शांति देने के लिए माता प्रसिद्ध हैं। इनकी कृपा पाने के लिए निम्न मंत्र जपें-

(1) 'ॐ कात्यायन्यै नम:।'

या

(2) 'ॐ क्रीं कात्यायनी क्रीं नम:।'


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जिन कन्याओं के लिए योग्य वर न मिल रहे हो, वे खुद या विद्वान पंडित से जप करवाएं

मंत्र

या देवि सर्व भूतेषु बुद्धि पति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।

या

माता भुवनेश्वरी का चि‍त्र या यंत्र सामने रखकर रक्तपुष्प से पूजन करें। यदि चित्र में यंत्र उपलब्ध न हो तो देवी माता दुर्गाजी का चित्र रखकर निम्न मंत्र की 51 माला नित्य जपें, मनोवांछित प्राप्ति होगी। साथ ही ऐश्वर्य प्राप्ति होगी।

मंत्र

'ॐ ह्रीं नम:।।'

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माता कात्यायनी वस्तुत: काली का ही रूप हैं, लेकिन उनका ध्यानस्वरूप माता दुर्गा की तरह है। जाने-अनजाने जीवन में कई शत्रु उत्पन्न हो जाते हैं। जिनका निवारण माता काली की पूजन-अर्चन तथा मं‍त्र जप से हो जाता है। भगवती काली शांति तथा मोक्ष देने वाली हैं। मंत्र निम्नलिखित हैं-

(1) 'ॐ क्रीं नम:।।' 51 माला नित्य जपें।

(2) ॐ क्लीं क्लीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं महाकालि।
क्लीं क्लीं क्लीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा।।

एक माला नित्य जप कर रक्तपुष्पों से अर्चन करें तो काली वरदायी होती हैं। एकांत आवश्यक है, भय न करें।

(3) 'ॐ क्रीं भद्रकाली क्रीं स्वाहा।' भी जपा जा सकता है। नित्य 11 माला जपें, बाकी पूर्ववत् है

कई बार किसी ऐसी जगह ठहरना पड़ जाता है, जहां भय लगता हो, असुरक्षा हो। नित्य एक माला जपें तथा जहां भय हो, वहां अपने हृदय पर हाथ रखकर 21 बार जपें।

'परमात्मन परब्रह्म मम् शरीरं।
पाहि पाहि कुरू कुरू स्वाहा।।'




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