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शनि उपासना के मंत्र

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शनि की उपासना के लिए निम्न में से किसी एक मंत्र अथवा सभी का श्रद्धानुसार नियमित एक निश्चित संख्या में जप करना चाहिए। जप का समय संध्याकाल तथा कुल जप संख्या 23000 होनी चाहिए।

वैदिक मंत्र-
ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शं योरभि स्रवन्तु नः॥

पौराणिक मंत्र-
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामी शनैश्चरम्‌॥

बीज मंत्र-
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

सामान्य मंत्र-
ॐ शं शनैश्चराय नमः।

शनि का व्रत करने से ला
शनिवार की पूजा सूर्योदय के समय करने से श्रेष्ठ फल मिलता है।
शनिवार का व्रत और पूजा करने से शनि के प्रकोप से सुरक्षा के साथ राहु, केतु की कुदृष्टि से भी सुरक्षा होती है।
मनुष्य की सभी मंगलकामनाएँ सफल होती हैं।
व्रत करने तथा शनि स्तोत्र के पाठ से मनुष्य के जीवन में धन, संपत्ति, सामाजिक सम्मान, बुद्धि का विकास और परिवार में पुत्र, पौत्र आदि की प्राप्ति होती है।

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