17 सितंबर 2020, गुरुवार को पितृमोक्ष अमावस्या है। सर्वपितृ अमावस्या को गजेंद्र मोक्ष का पाठ अवश्य करना चाहिए। इस पाठ को पढ़ने से पितृ दोष दूर होता है तथा पितृ देव आपको सुख-समृद्धि और धन-ऐश्वर्य, स्वास्थ्य प्राप्ति का आशीष देते हैं।
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र पितृ पक्ष में 16 दिनों तक अवश्य पढ़ना चाहिए, लेकिन अगर यह संभव नहीं हो पा रहा है तो सिर्फ सर्वपितृ अमावस्या के दिन इसका पाठ अवश्य करें। वैसे तो आप दिनभर में कभी इस स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं, लेकिन अगर आप इसें का पाठ सायंकाल के समय करते हैं तो और भी अधिक फलदायी हो जाता है। आइए यहां पढ़ें गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का संपूर्ण पाठ-
कैसे करें पाठ, पढ़ें विधि :
1. एक दीपक जलाएं तथा दक्षिण दिशा की ओर मुख कर यह पाठ करें।
2. यह पाठ पूरा होने के बाद श्रीहरि विष्णु का स्मरण करें और उनसे और अपने घर के पितरों से प्रार्थना करें कि आपके घर से पितृ दोष को दूर करें और कर्ज मुक्ति के साथ ही आपके जीवन को खुशहाल कर दें।
3. इसके बाद पितरों को जलेबी का भोग लगाएं।
4. कम से कम 108 बार पितृ मंत्रों का जाप करें।
गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र :-
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
गज और ग्राह लड़त जल भीतर, लड़त-लड़त गज हार्यो।
जौ भर सूंड ही जल ऊपर तब हरिनाम पुकार्यो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
शबरी के बेर सुदामा के तन्दुल रुचि-रुचि-भोग लगायो।
दुर्योधन की मेवा त्यागी साग विदुर घर खायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
पैठ पाताल काली नाग नाथ्यो, फन पर नृत्य करायो।
गिरि गोवर्द्धन कर पर धार्यो नंद का लाल कहायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
असुर बकासुर मार्यो दावानल पान करायो।
खम्भ फाड़ हिरनाकुश मार्यो नरसिंह नाम धरायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
अजामिल गज गणिका तारी द्रोपदी चीर बढ़ायो।
पय पान करत पूतना मारी कुब्जा रूप बनायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
कौर व पाण्डव युद्ध रचायो कौरव मार हटायो।
दुर्योधन का मन घटायो मोहि भरोसा आयो ।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
सब सखियां मिल बन्धन बान्धियो रेशम गांठ बंधायो।
छूटे नाहिं राधा का संग, कैसे गोवर्धन उठायो ।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।
योगी जाको ध्यान धरत हैं ध्यान से भजि आयो।
सूर श्याम तुम्हरे मिलन को यशुदा धेनु चरायो।।
नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ाओ, यह आचरण माहि आओ।