गणेशजी की साधना शीघ्र फलदायी है। इनके अनेक प्रयोग में उनको प्रिय दूर्वा के चढ़ाने की पूजा शीघ्र फलदायी और सरलतम है। श्री गणेश चतुर्थी के दिन इसे शुभ मुहूर्त में प्रारंभ करना चाहिए। इसे गणेशजी की प्रतिष्ठित प्रतिमा पर करें।
21 दूर्वा लेकर इन नाम मंत्र द्वारा गणेशजी को गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप व नैवेद्य अर्पण करके एक-एक नाम पर दो-दो दूर्वा चढ़ाना चाहिए। यह क्रम प्रतिदिन जारी रखने एवं नियमित समय पर करने से जो आप चाहते हैं उसकी प्रार्थना गणेशजी से करते रहने पर वह शीघ्र पूर्ण हो जाती है। इसमें इस प्रयोग के अतिरिक्त विघ्ननायक पर श्रद्धा व विश्वास रखना चाहिए।
ॐ गणाधिपाय नमः
ॐ उमापुत्राय नमः
ॐ विघ्ननाशनाय नमः
ॐ विनायकाय नमः
ॐ ईशपुत्राय नमः
ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः
ॐ एकदन्ताय नमः
ॐ इभवक्त्राय नमः
ॐ मूषकवाहनाय नमः
ॐ कुमारगुरवे नमः
श्री गणेश : एक नजर में
* लाल व सिंदूरी रंग प्रिय है। दूर्वा के प्रति विशेष लगाव है। चूहा इनका वाहन है। बैठे रहना इनकी आदत है। लिखने में इनकी विशेषज्ञता है। पूर्व दिशा अच्छी लगती है। लाल रंग के पुष्प से शीघ्र खुश होते हैं। प्रथम स्मरण से कार्य को निर्विघ्न संपन्न करते हैं। दक्षिण दिशा की ओर मुंह करना पसंद नहीं है। चतुर्थी तिथि इनकी प्रिय तिथि है। स्वस्तिक इनका चिन्ह है। सिंदूर व शुद्ध घी की मालिश इनको प्रसन्न करती है। गृहस्थाश्रम के लिए ये आदर्श देवता हैं। कामना को शीघ्र पूर्ण कर देते हैं।