Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

होलिका दहन के यह हैं 5 शास्त्रोक्त और पौरा‍णिक नियम

हमें फॉलो करें होलिका दहन के यह हैं 5 शास्त्रोक्त और पौरा‍णिक नियम
फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक के अंतराल को होलाष्टक माना जाता है, जिसमे सभी शुभ कार्य वर्जित रहते है। इसीलिए पूर्णिमा के दिन होलिका-दहन किया जाता है।
 
1. पहला, उस दिन भद्रा न हो क्योंकि भद्रा का ही एक दूसरा नाम विष्टि करण भी है, जो 11 कारणों में से एक है। और एक करण तिथि के आधे भाग के बराबर होता है।
 
2. दूसरा, पूर्णिमा प्रदोषकाल-व्यापिनी होनी चाहिए। अर्थात उस दिन सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्तों में पूर्णिमा तिथि होनी चाहिए।
 
3. होलिका दहन शुभ और शुद्ध मुहूर्त में ही होना चाहिए। 
 
4. होली के पूजन में नारियल और गेंहू की बालियां चढ़ाना सबसे शुभ और शास्त्रसम्मत माना गया है। 
 
5. होली पर तंत्र क्रियाएं नहीं करना चाहते हैं तो सबसे सरल उपाय है गोमती चक्र को अपने ऊपर से 7 बार बार कर होली में डालें और होली की भस्म को चांदी की डिबिया में घर की तिजोरी में रखें। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

यह हैं होलिका दहन और पूजन के शुभ मुहूर्त