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महाशिवरात्रि पर करें नवग्रहों की पूजा, पढ़ें प्रार्थना, मंत्र एवं पूजन विधि

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* शिवरात्रि विशेष : शिवजी के पूजन से पहले करें नवग्रहों का पूजन
 
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के पूजन के साथ नवग्रह पूजन का विशेष महत्व ग्रंथ-पुराणों में वर्णित है। नवग्रह-पूजन के लिए पहले ग्रहों का आह्वान करके उनकी स्थापना की जाती है। बाएं हाथ में अक्षत लेकर निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए दाएं हाथ से अक्षत अर्पित करते हुए ग्रहों का आह्वान किया जाता है। 
 
नवग्रह : सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु (बृहस्पति), शुक्र, शनि, राहु एवं केतु। 
 
नवग्रह पूजन विधि एवं मंत्र :-  

भगवान शिव के पूजन के साथ नवग्रह पूजन का विशेष महत्व ग्रंथ-पुराणों में वर्णित है। नवग्रह-पूजन के लिए पहले ग्रहों का आह्वान करके उनकी स्थापना की जाती है। बाएं हाथ में अक्षत लेकर निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए दाएं हाथ से अक्षत अर्पित करें।
 
सूर्य : सबसे पहले सूर्य का आह्वान किया जाता है क्योंकि सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। रोली से रंगे हुए लाल अक्षत और लाल रंग के पुष्प लेकर निम्न मंत्र से सूर्य का आह्वान करें -
 
ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च ।
हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवए नानि पश्यन्‌ ॥
 
जपा कुसमसंकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम्‌ ।
तमोऽरिं सर्वपापघ्नं सूर्यमावाहयाम्यहम्‌ ॥
 
ॐ भूर्भुवः स्वः कलिंगदेशोद्भव कश्यपगोत्र रक्तवर्ण भो सूर्य! इहागच्छ, इहतिष्ठ 
ॐ सूर्याय नमः, श्री सूर्यमावाहयामि स्थापयामि च ।
 
चंद्र : श्वेत अक्षत और पुष्प बाएं हाथ में लेकर दाएं हाथ से अक्षत और पुष्प छोड़ते हुए निम्न मंत्र से चंद्र का आह्वान करें-
 
ॐ इमं देवा असनप्न(गुं) सुवध्वं महते क्षत्राय
महते ज्येष्ठ्याय महते जानराज्यायेन्द्रस्येंद्रियाय ।
 
इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी
राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणाना(गुं); राजा ॥
 
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम्‌ ।
ज्योत्स्नापतिं निशानाथं सोममावाहयाम्यहम ॥
 
ॐ भूर्भुवः स्वः यमुनातीरोद्धव आत्रेय गोत्र शुक्लवर्ण भो सोम! इहागच्छ, इहतिष्ठ 
ॐ सोमाय नमः, सोममावाहयामि, स्थापयामि च ।
 
मंगल : लाल पुष्प और लाल अक्षत दाएं हाथ में लेकर बाएं हाथ से छोड़ते हुए निम्न मंत्र से मंगल देवता का आह्वान करें-
 
ॐ अग्निर्मूर्धा दिवः कुकुत्पतिः पृथिव्या अयम्‌।
अपा(गुं)श्रेता(गुं)सि जिन्वति ॥
 
धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्तेजस्समप्रभम्‌ ।
कुमारं शक्तिहस्तं च भौममावाहयाम्यहम्‌ ॥
 
ॐ भूर्भुवः स्वः अवन्तिदेशोद्भव भारद्वाजगोत्र रक्तवर्ण भो भौम! इहागच्छ, इहतिष्ठ 
ॐ भौमाय नमः, भौममावाहयामि स्थापयामि च ।
 
बुध : पीले व हरे रंग के अक्षत और पुष्प अर्पित करते हुए निम्न मंत्र से बुध देवता का आह्वान करें-
 
ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते स(गुं)जेथामयं च ।
अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन्‌ विश्वे देवा जयमानश्च सीदत ॥
 
प्रियंगकलिकाभासं रूपेणाप्रतिमं बुधम ।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं बुधमावाहयाम्यहम्‌ ॥
 
ॐ भूर्भुवः स्वः मगधदेशोद्भव आत्रेयगोत्र पीतवर्ण भो बुध! इहागच्छ, इहतिष्ठ
ॐ बुधाय नमः, बुधमावाहयामि, स्थापयामि च ।
 
बृहस्पति : अष्टदल से अंकित बृहस्पति का आह्वान पीले रंग से रंगे अक्षत और पुष्प अर्पित कर करें-
 
ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु।
यद्दीदयच्छवसः ऋतप्रजात्‌ तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्‌ ॥
 
उपयामगृहीतोऽसि बृहस्पतये त्वैष ते योनि बृहस्पतये त्व ।
देवानां च मनीनां च गुरुं काञ्चनसन्निभम्‌ ।
वंदनीयं त्रिलोकानां गुरुमावाहयाम्यंहम्‌ ॥
 
ॐ भूर्भुवः स्वः सिन्धुशोद्धव आडिगंरसगोत्र पीतवर्ण भी गुरो! इहागच्छ, इहतिष्ठ
ॐ बृहस्पतये नमः, बृहस्पतिमावाहयामि स्थापयामि च ।
 
शुक्र : शुक्र भगवान का आह्वान करने के लिए श्वेत फूल और अक्षत देवता को अर्पित करते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण करें :
 
ॐ अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत्क्षत्रं पयः सोमं प्रजापतिः ।
ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपान(गुं) शुक्रमन्धस इंद्रस्येद्रियमिदं पयोऽमृतं मधु ॥
 
हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्‌ ।
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवमावाहयाम्यमहम्‌ ॥
 
ॐ भूर्भुवः स्वः भोजकटदेशोद्धव भार्गवगोत्र शुक्लवर्ण भो शुक्र! इहागच्छ, इहतिष्ठ 
ॐ शुक्राय नमः, शुक्रमावाहयामि स्थापयामि च ।
 
शनि : सूर्य पुत्र शनि का आह्वान करने के लिए काले रंग से रंगे अक्षत और काले फूल समर्पित करते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण करें :
 
ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। 
शंयोरपि स्रवन्तु नः ।
 
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌ ।
छायामार्तण्डसम्भूतं शनिमावाहयाम्यहम्‌ ॥
 
ॐ भूर्भुवः स्वः सौराष्ट्रदेशोद्धव कश्यपगोत्र कृष्णवर्ण भो शनैश्चर! इहागच्छ, इहतिष्ठ 
ॐ शनैश्चराय नमः, शनैश्चरमावाहयामि, स्थापयामि च ।
 
राहु : नवग्रह में काले मगर की आकृति के रूप में राहु की पूजा की जाती है। काले रंगे अक्षत और फूलों को बाएं हाथ में लेकर दाएं हाथ से अर्पित करते हुए निम्न मंत्र बोलते हुए राहु का आह्वान करें -
 
ॐ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदावधः सखा ।
कया शचिष्ठया वृता ॥
 
अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्यविमर्दनम्‌ ।
सिंहिकागर्भसम्भूतं राहुमावाहयाम्यहम्‌ ॥
 
ॐ भूर्भुवः स्वः राठिनपुरोद्धव पैठीनसगोत्र कृष्णवर्ण भो राहो! इहागच्छ, इहतिष्ठ 
ॐ राहवे नमः, राहुमावाहयामि स्थापयामि च ।
 
केतु : केतु का आह्वान करने के लिए धूमिल अक्षत और फूल लेकर निम्न मंत्र का उच्चारण करें -
 
ॐ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्या अपेशसे । 
समुषद्धिरजायथाः ॥
 
पलाशधूम्रसगांश तारकाग्रहमस्तकम्‌ ।
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं केतु मावाहयाम्यहम्‌ ॥
 
ॐ भूर्भुवः स्वः अंतवेदिसमुद्धव जैमिनिगोत्र धूम्रवर्ण भी केतो! इहागच्छ, इहतिष्ठ 
ॐ केतवे नमः, केतुमावाहयामि स्थापयामि च ।
 
नवग्रह : नवग्रहों के आह्वान और स्थापना के बाद हाथ में अक्षत लेकर निम्न मंत्र उच्चारित करते हुए नवग्रह मंडल में प्रतिष्ठा के लिए अर्पित करें।
 
ॐ मनो जूर्तिर्ज्षतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं ततनोत्वरिष्टं यज्ञ(गुं)सममं दधातु।
विश्वे देवास इह मादयन्तामो3म्प्रतिष्ठा ॥
 
निम्न मंत्र से नवग्रहों का आह्वान करके उनकी पूजा करें :
 
अस्मिन नवग्रहमंडले आवाहिताः सूर्यादिनवग्रहा
देवाः सुप्रतिष्ठिता वरदा भवन्तु ।
 
प्रार्थना
 
ॐ ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशी भूमिसतो बुधश्च गुरुश्च शुक्रः शनि राहुकेतवः सर्वेग्रहाः शांतिकरा भवन्तु ॥
 
सूर्यः शौर्यमथेन्दुरुच्चपदवीं सन्मंगलं मंगलः सद्बुद्धिं च बुधो गुरुश्च गुरुतां शुक्र सुखं शं शनिः ।
 
राहुर्बाहुबलं करोतु सततं केतुः कुलस्यो नतिं
नित्यं प्रीतिकरा भवन्तु मम ते सर्वेऽनकूला ग्रहाः ॥
 
इस प्रकार नवग्रहों को शुभ कार्य की सफलता हेतु आव्हान एवं प्रतिष्ठा करने के पश्चात्‌ भगवान शिव का पूजन प्रारंभ होता है।

 

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