वनस्पति जगत में कई ऐसी दुर्लभ जड़ी-बूटियों का उल्लेख है जिनके पूर्ण विधि-विधान के साथ तांत्रिक प्रयोग में लाने से मनुष्य को आशातीत लाभ प्राप्त होता है। ऐसी ही एक दुर्लभ जड़ी है कृष्ण हरिद्रा अर्थात् काली हल्दी। पीली हल्दी सामान्यत: प्रत्येक घर में प्रयोग में लाई जाती है लेकिन इसके विपरीत काली हल्दी का नाम भी बहुत कम लोगों ने सुना होता है।
काली हल्दी एक अत्यंत दुर्लभ वनस्पति है जो बहुत कठिनाई से प्राप्त होती है। इसे कचूर या नरकचूर के नाम से भी जाना जाता है। यह बाहर से दिखने में काली होती है लेकिन तोड़ने पर अंदर से हल्की पीली होती है। इसकी सुगन्ध कर्पूर की तरह होती है। यह तंत्र शास्त्र में बड़ी उपयोगी वस्तु होती है। काली हल्दी के विधिवत् प्रयोग से मनुष्य को अकूत धन संपदा का लाभ होता है।
काली हल्दी का प्रयोग-
रवि-पुष्य या गुरु-पुष्य के शुभ संयोग में काली को हल्दी को प्राप्त कर इसकी षोडषोपचार पूजा करने के उपरांत इसे विधिवत् सिद्ध कर लाल रेशमी वस्त्र में चांदी या स्वर्ण मुद्रा के साथ लपेटकर अपनी तिजोरी में रखने से अपार धन वृद्धि होती है।
ज्योतिर्विद पं. हेमन्त रिछारिया