ग्रहण में विशेष सावधानी :
* ग्रहण काल में वस्त्र न फाड़ें, कैंची का प्रयोग न करें, घास, लकड़ी एवं फूलों को न तोड़ें।
* बालों व कपड़ों को नहीं निचोड़ें।
* दातून न करें।
* कठोर व कड़वे वचन (बोल) न बोलें।
* घोड़ा, हाथी की सवारी न करें।
* गाय, बकरी एवं भैंस का दूध दोहन न करें,
* शयन व यात्रा न करें।
* यदि तीर्थ स्थान का जल न हो तो किसी पात्र में जल लेकर तीर्थों का आवाहन करके सिर सहित स्नान करें, स्नान के बाद बालों को न निचोड़ें।
ग्रहण के बाद के नियम :
* ग्रहण के मोक्ष के बाद तीर्थ में गंगा, जमना, रेवा (नर्मदा), कावेरी, सरजू अर्थात किसी पवित्र नदी, तालाब, बावड़ी इत्यादि में स्नान करना चाहिए।
* यदि यह संभव न हो तो घर के जल में तीर्थ जल डालकर स्नान करें। स्नान के पश्चात देव-पूजन करके, दान-पुण्य करें व ताजा भोजन करें।
* ग्रहण या सूतक के पहले बनी वस्तुओं में तुलसी दल या कुशा डालकर रखना चाहिए।